ठहर जाना दिल_ए_दहलीज़ पर ए ग़ालिब मंसूबा अगर रियाह होने का किया है...
फरेबी फितरत नहीं हमारी फैसला तो तहज़ीब से तबाह होने का लिया है❣️❣️❣️-
दुप्पटा फटा है मगर सर पे है साहेब
हम गरीबों की तहज़ीब हीं हमारी दौलत है-
हम जो इंसानों की तहजीब लिए फिरते हैं,
हम सा भेड़िया कोई जंगल के दरिंदों में भी नहीं।।-
तुम लहजा अपना सही रखना
मैं लफ्ज़ों को किनारा कर दूंगी
तुम तहज़ीब अपना बनाये रखना
मैं तमीज़ को गवारा कर लूँगी
इक आशनाई तुम सदा रखना
मैं अहदे वफ़ा भी निभा लूँगी
तुम जज़्बात का लौ जलाये रखना
मैं मुहब्बत को रोशन कर दूँगी-
जो तमीज़ की बात हो, तो ये डिग्रीयां भी बड़ी फ़रेबी हैं
इंसान चाँद पर भी चला जाये,
पर तहज़ीब नही खरीद सकता।-
हैरान हैं हम उनकी तहज़ीब से
मुस्कुराते हैं गुज़रते हुए करीब से-
तहज़ीब की कमीज़
इतनी महँगी भी नहीं साहिब
जो संस्कारों की अच्छाई से
खरीदी ना जा सकें।।-
सिलवटों ने बताया कि रुमानियत ज़िन्दा हैं रिश्ते में
वरना चादरें भी बेरुखी बड़ी तहज़ीब से बयां करती हैं-
तहज़ीब-ए-मोहब्बत अजीब थी मोहतरमा की,
चाय पर बुलाकर पूछा खाना बनाना आता है !!-
यूं तो ज़माने के हर सवाल का जवाब है
बस तहज़ीब है थोड़ी ये आदत खराब है।।-