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अब वो दिन नहीं रहे...
जब हम किसी की तकलीफ
में दिमाग नहीं दिल लगाते थे
सुनकर किसी का दुख दौड़कर
जाते थे...
बिना किसी तकनीकी सुविधा
के हम जिया करते थे...
अब तो हम तकनीकी हो गऐ
कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गऐ..
शुभकामनाओं से लेकर,गमी का
एक इमोजी भेज देते हैं ..
शायद हम रिश्तों को निभाने की
खानापूर्ति कर लेते हैं ...
क्योंकि अब समय नहीं कहकर
अनजाने रिश्तों में मशगूल रहते हैं
एक घर में रहकर भी अब कहाँ
साथ रहते हैं?
सब अपने कमरों में अपने फोन पर
लगे रहते हैं ...
कान और कमरा दोनों बंद किए
रहते हैं ...
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ज़िंदगी कैद हो गई है gadgets के बीच...
अब तो मुस्कान भी तकनीकी हुआ करती है-
तकनीकी युग ने हमें इतना आलसी बना दिया है,
कि भावनाएं ही दिलों से मिटती चली जा रही हैं।
सच-झूठ, झूठ-सच के आवरण की आड़ में ही,
गलतफहमियाँ अपनी जगह बनाती जा रही हैं।-
रात बात
जज़्बात मुलाकात
सब अब अनोखे अंदाज में चलें हैं
यहां तक कि
कुछ अहसास भी तकनीकी में पलें हैं-
तकनीकी की लय में रिश्ते अब ढल रहें हैं ,
पीर की नीर हो अधीर जल धारा बन बह रही है,
मन्तव्य क्या, गन्तव्य क्या,
भावनाओ की तरंगे सागर की लहरो सी, विक्षिप्त क्रंदन कर रही हैं।
तकनीकी की प्रवाह में संवेदनाएं ढल रहीं है,
मौन प्रकृति के मन को जो टटोल सकें वो मानस कहाँ बन रहें हैं,
आधुनिकता की होड़ में नव कल से मानव ढल रहे हैं,
शुष्क मन संवेदनहीन जन कल से यूँँ हीं चल रहें हैं,
तकनीकी के लय में कल से जीवन ढल रहें हैं।-
तकनीकी कोई विकास नहीं एक विकृति है
जो प्रकृति को उधेड़कर उसकी खुरचन से
अपने कल-पुर्जे बनाती है-
आज के एडवांस और मशीनी दौर में
इंसान तकनीकी तौर पर इतना
ज्यादा निर्भर हो चूका है कि,
"उस" ऊपरवाले की बनाई हुई
"इस" मशीन में अगर कोई भी
तकनीकी खामी हुई तो सारी की सारी
एडवांस तकनीकी धरी की धरी रह जायेगी।-