डूबते हुए सूरज को इतना गौर से नहीं देखना चाहिए।
क्यों ??
क्योंकि इंसान को वहम होने लगता है।
कैसा वहम ??
किसी अपने को खो देने का वहम।
और फिर दोनों ने कुछ नहीं कहा और फिर दोनों ने कभी डूबता हुआ सूरज नहीं देखा।-
चढ़ते सूरज के पुजारी तो लाखों देखे है ,
डूबते वक़्त हमने सूरज को भी तन्हा ही देखा है ।-
तुम बनारस की प्यारी शाम बनो,
मैं डूबता सूरज हर रोज देखूंगा।
तुम गँगा नदी का किनारा बनो,
मैं तुम्हारा अस्सी घाट पर इंतजार करूँगा।।-
छठ पवन क गीत सुनियो यो आहाँ..
तुरन्ते कानन में जाय क आत्मा म बस जायत..-
देख कर उस सूरज की लालिमा को डूबते हुए क्षितिज़ पे
उभर आया दर्द तमाम आज मेरे दिल के अँधेरों से-
आस्था का पर्व..
विश्वास की डोर..
उगते सूरज को तो सभी सलाम करते हैं..
डूबते सूरज से जो सीख मिले उससे झोली भरे...
जय छठी मैया...-
सूर्य ......!!!
आज़ तुम मेरे चश्मे की परत के साथ,
साफ़ - साफ़ दिखाई पड़ रहे हो।
मेरी आंखें तुम्हें देख चौंधियां नहीं रहीं,
बल्कि आज तुम्हारा रंग और परतें साफ़ दिखाई पड़ रही हैं।
तुम जितना जलाते हो दुनिया को ,
इस वक्त उतने ही शांत वातावरण को प्रवाहित करते दिख रहे हो।
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वो रोज़ देखता है डूबते हुए सूरज को,
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता...!-
मत हो परेशान ऐ गालिब,
मैं भी इंतेज़ार कर रहा हूं तुम्हारा ..।।
बस सिर्फ एक कदम तुम बढ़ा दो,
बाकी के फासले मैं खुद तय कर लूंगा।-