आना कभी बारिश में भीगना सिखाएँ गे, कुछ देर के लिए इस भागते शहर को ठहरा दिखाए गे। कि मिल कर गुन गुना लेगें कोई गीत, आना बारिश में तुमको चाय पिलायें गे।।
दिमाग, दिल, मन सब मुकर जाते है जब वो पास से गुज़र जाते है। यू तो बाते महफ़िलो में उनकी करता हूँ लेकिन उनसे बात के लिए जुबान ही चिपक जाते है। और ये जो डायरी है इनके हर पन्ने पर उनका जिक्र होगा, फिर भी उनके सामने अल्फ़ाज़ खत्म हो जाते है।।
कभी एक क्लास, एक ब्रांच, एक स्कूल अपने ठिकाने थे। वक्त की चाल बदली, आज अलग रास्ते है, अलग मंजिल है, अलग-अलग मिलने के ठिकाने है। ये मेरे दोस्त मेरे अजीज स्कूल के जमाने के है।।