बूढ़ी माँ बुहार रही थी आँगन
बेटी गैलरी से मीडिया डिलीट कर रही थी-
कोट की बात क्या करते हो,
इंसानों को भी हाईलाइट कर
डिलीट कर दिया जाता है।-
खुशी से कांप रही थी उंगलियां इतनी।।
डिलीट हो गया एक शक्स सेव करने मै।।-
साथ गुजारा हर एक पेहरा याद रहता है
सिर्फ तस्वीर डिलीट की जाती है चेहरा याद रहता है-
हर पल ज़िन्दगी के कुछ यूं लुत्फ उठाते रहिये,,
इश्क़ कीजिए ,कभी दिल्लगी के पर्चे उड़ाते रहिये,,
पत्नी के हाथ लग जाए गर,तो भले फोन तोड़ देना,
मुझ पर शक किया तुमने, बस ये ही दोहराते रहिये,,
चैट करो जितनी भी ,मगर आप डिलीट कर देना ,,
जिस भी राहों से गुजरें ,कदमों के निशां मिटाते रहिए,,-
किसी के मन को टीस देकर
अपनी अकड़ पर इतराने वालो
याद रखना..
वक्त ज़ख्मों को भरता नहीं
बल्कि वक्त बदलता जरूर है...
और मन में छपी बातों को डिलीट.
करने का फंक्शन नहीं होता...
कुछ कसक मैमोरी में पड़ी ही रहती हैं-
आखिर क्यों डिलीट नहीं होती है
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आखिर क्यों डिलीट नहीं होती है
कुछ बातें दिमाग़ से ,
कुछ यादें दिल से
लाख कोशिशों के बावजूद भी
मन के एक कौने में रहती है
आखिर क्यों हम
भूल कर भी भूल नहीं पाते
और डिलीट करते करते
उन्ही बातों और यादों में खो जाते हैं
बस चुपचाप हर वक़्त
सब की दृष्टि से दूर
एक कौने में बैठ कर
कभी हंसते हैं तो कभी रोते हैं-
अभी अभी ख्याल आया,
कि क्यों ना मैं अपना,
Whatsapp ही डिलीट कर दूं..
क्योंकि जिनके पास फुर्सत ही नहीं है,
एक कैसे हो.? का मैसेज तक भेजने की..
फिर कहाँ से फुर्सत निकलती है,
उनके पास इस मुए स्टेटस को देखने की..-