बहुत गर्मी पड़ रही है शहर में,कुछ इस तरह से हवा दीजिए,
आईये जब छत पर तो, जुल्फों को अपने बिखरा दीजिए।
उदास मत रहिए,यूं ही मुस्कुरा दीजिए,
बात नहीं कर सकते हैं तो,कुछ इशारों- इशारों में ही बता दीजिए।-
चेहरा कैसा लाल तुम्हारा 😍
जुल्फ़ों का यह जाल तुम्हारा 😍
आंखों में ही अब डूब मरेगा 😍
आशिक़ तेरा माल तुम्हारा 😂
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Karib to aawo tumhri Dharkano ko mahsus karna chahta hu,
Teri julfe ko sabaar kar teri hotho ko chumnaa chahta hu.-
थोड़ा जुल्फों को हटा देते हमारे गालों से
तो आपका चांद पूरा निकलता घटाओं से
हम तो यूं ही महक उठे है आपकी वफाओं से
हमको क्या लेना अब दुनियां की जफाओं से-
दिल कह रहा अब,
साकी को शर्मिंदा किया जाएं,
तेरी जुल्फो के साये,
तेरे लबों का ज़ाम पिया जाए-
ले आसमाँ आघोश में
साहिल से पर हम हार गए
तुफा तो सेह लिया था जिस्म ने
पर जुल्फों पे तेरे हम हार गए।-
तेरी जुल्फों के साये में हम भूल गए
जिंदगी भर की सारी परेशानियां ।
तेरे संग बैठकर मिला जिंदगी को सकूँन
भूल गए हम जिंदगी की सारी परेशानियां ।
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हम हुए तुम हुए कि 'मीर' हुए।
उस की ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए।
~ मीर तक़ी मीर साहब-