फतेहपुरिया छोरा हूं,
शरारत से भरा,
थोड़ा नटखट सा,
मगर फिर भी,
बड़ा शांत हूं,
समझने वालों के,
समझ में नहीं,
बस दिमाग में,
छा जाता हूं।
बस यूं ही,
कुछ ना कुछ लिखते,
चला जाता हूं।-
था तो मैं भी इंसान का बच्चा,
बसे लालच मन मे, सपने देखे माहिर
बीते दिन, दुपहरिया ,रात, अक्कड़ की पिये पानी।
खाटओ करे नेक्षआवर, चलआओ दुनिया की भाषा
पीठ कियो लाल, लाल भयो लाल मामा डियो बचाय।
छोरी कि चाभी मैं भरो, भौजाई से करो मजाक,
भयो थारो लड़का शयान, नाना हँसओ बाजार।
था तो मैं इंसान का बच्चा, सपने देखो हजार,
माटी कि मिट्टी बोले , था तु बड़ा नादान, मरवाड़ी के छोरे में बिन मूछें कि धार
बात पचे ना पेट में, सबसे दियो बताय।-
बहिन, बहु और बेटी,
एक नारी रा रूप अनेक,
सबसु प्यारी माँ होवे,
जद् दिखे चरणा मैं स्वर्ग...-
गांव की मिट्टी में ही
अब इंसानियत बांकी है,
लोग दौड़ के आते हैं मदद के लिए,
चाहे कोई किसी भी धर्म - जाति का है।
इसलिए गांव को गांव ही रहने दो,
शहर मत बनाओ,
सड़के कच्ची ही ठीक है अपने गांव की,
इसे पक्के का मत बनाओ।-
वो ग़ोरी गांव की मैं छोरा शहर का....!
इश्क़ हम दोनो का, सारे ज़माने में हल्ला हुआ....!-
मनै लगे सै यू छोरा घना इतरावै सै
खुद नै शाहरुख खान बतावै सै
नाक पोछन की तो अक्ल
इब लग ना आई इस्तै
खुद ने घना पढ़ा- लिखा बतावै सै
मेरे गेलया इसकी पटदी कोणी
मैने आँख न्यू दिखावै सै
लिखण मै किमे भी लिखवा लो इस्तै
यू बाता घनी बनावै सै
अँग्रेजी भी घनी गिट-पिट बोले
खुद तै भी अपनी अंगेरजी
इसनै समझ कोणी आवे सै
जित भी देखै छोरियां ताई
ओड़े गोल गोल चक्कर लगावै सै
छोरी इसपे पाटे कोणी
छोरी इस्ते न्यु आँख दिखावै सै
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छोरी - सारी हाण तू रुठया रुठया लागे क्यूँ -2
रे मैं छोरी हरियाणा की ,तू डर कै भागे क्यूँ
मेरे गेल्याँ जै तै थोड़ी देर बतलावेगा
तेरा के किमे बिगड़ जावेगा
छोरा - रे छोरी ..मैं छोरा दिल्ली का तैने देख नु डरदा कोणी
तैने न्यू सामी देख मैं होके भरदा कोणी
छोरी - जा रे जा मनै तेरे जिसे भतेरे पावैं सै
एक तै एक बड़के जान लुटावें सै
आली समझ कै कोणी रे छोरे ....
छोरा - क्यांनैं चाला ढावै सै मैं तेरे पे मरदा कोणी
मैं छोरा दिल्ली का तैने देख नु डरदा कोणी
क्यां नैं छोरी तू इतनी मचलैं सै
अपनी कमर नै न्यू मेरे सामी क्यूँ झटके सै
तेरी मटकडी कमर पै ना मेरा दिल अटके सै-
Main Chhori hindustan ki, Wo chhora Pakistan ka!
Jodi humaari rabb ne bnaayi, pr najaane q logo ko aitraaz tha!
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गोरी जब खुश,तब रऊआ क्यूँ नाखुश!
छोरा! ये दिल ही है...
जिसमें आग हैं सुलगते,
देर नहीं लगती मामला बिगड़ते,
खैर नहीं मिलती...
जब चरित्र हैं बिखरते,
जरा बच के छोरा,जरा जँच के...
लचकल कमरिया पर जो तोहर नयन मटके,
कजरारी नयना पर जो तोहर दिल अटके,
गई भैंस तोहर पानी में आऊ
तोहर जीवन अधूरी कहानी में,
फिर बजा डपली आऊ बहता जा,
सुनाकर दर्दों के रवानी में,
अपने बुनें सपनों के शेरवानी में।
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थै उण ने इक सुणावों वे थारी दस सुणे हैं,
बस आइज बात उण री घणी प्यारी लागे।
छोरा री हर फिलिंग नी हमझ सका, दरद
छोरों ने भी होवे पण रोवा माथे रोक लागे।।
@baisa_ri_kalam-