छुआ-छूत की दुनिया में दूर से सलाम करता है
ज़माना बड़ा ही श़ातिर है हदों में काम करता है
कोई किसी का नहीं मतलब की है दुनिया सारी
सिर्फ़ अपने ही हिस्से में ख़ुशियाँ तमाम करता है
एक वक़्त तक ही साथ देते हैं अपनों का यहाँ
बेटा अब बाप की ज़मीन भी अपने नाम करता है
ज़रा सी इज्ज़त के लिए घूम रहा है शहर - शहर
सबसे छीनकर अपनी रोटी का इन्तेजाम करता है
सबकी नज़रों में अब बन गया है सबका पासबाँ
गुनाह हज़ारों भले ही वो सुबह से श़ाम करता है
कुछ अच्छे लोगों से ही हर सुबह ख़ुशनुमा होगी
वरना हर कोई यहाँ बस अपना कलाम करता है
दो पैसे कमा लेना ही इज्ज़त नहीं होती "आरिफ़"
न ही बड़ों की इज्ज़त और न एहतिराम करता है
सच लिखने वाला "कोरा काग़ज़" नहीं रहा अब
पर जो भी लिखता है हासिल हर मक़ाम करता है-
किसी का छुआ हुआ पानी नहीं पीते हैं,
जो लोग
ना जाने उसी हवा में सांस कैसे ले लेते हैं,
वही लोग।-
भारत में कई वायरस हैं
जिनका अभी तक सफल इलाज नहीं....
पाखंड,
अंधविश्वास,
छुआछूत,
जातिवाद,
अन्याय,
गरीब लोगो का शोषण !-
श्मशान में जाते ही मिट गई सब छुआछूत,
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पास पास ही जल रहे थे , ब्राम्हण ,शुद्र , वैश्य और राजपूत😐
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मंदिर मस्जिद बना लिया हो तो
चलो थोड़ा रिश्ता बना लो साथियों
नेताओं के दंगे छोड़-छाड़कर
भुलकर तुम गले लगा लो साथियों
A,B,AB,O पॉजिटिव नेगेटिव
यहीं खून सबके शरीर में साथियों
इतिहास के कागजों में जो लिखी
उच-नीच का फ़र्क मिटा दो साथियों
एक ही है हम दिखा दो तुम सबको
हमारा एक वतन है दिखा दो साथियों
तुमको लड़ाकर सियासत जीत रहे है
उन नेताओं को उखाड़ फेंको साथियों।-
वो पहले आपको जाती के नाम पर डराऐंगे
मैं उच्च तू हूँ तू अछूत कह है कर दूर भगायेंगे
आप अगर डटे रहे तो फिर आपको वो धमकायेंगे
जब आप अड़े रहेंगे तब वो एक जाती को दूसरे से लड़ायेंगे
तब भी आप ना टूटे तो वो आपको गले लगायेंगे और संग संग एक थाली में वो भी रोटी खायेंगे
और आपसे कहेंगे देखा तू अछूत था फिर भी मैंने तेरे संग एक ही थाली में रोटी खाया ..
छुआ-छूत जाती-पाती हम नहीं मानते हैं ये सब पुराने जमाने में होता था,
तब आप उनसे पूछना रोटी का सम्बंध तो बना लिए बेटी का भी बनाओ ,
तुम अपनी बेटी को मेरे बेटे से ब्याह दो और हमारी बेटी को इज्जत से बहुरानी तो बनाओ ...
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जूते की नोक पर रखता हूं आपकी सारी दलीलें जो मुझे समझना चाहती है की वो 9 साल का बच्चा अछूत है और उसके हाथ की चाय में नही पी सकता
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