जम्मो छत्तीसगढ़िया
भाई-बहिनी मन
ला छत्तीसगढ़
स्थापना दिवस
के गाड़ा-गाड़ा
बधाई।
ये ह सिर्फ एक
दिन नोहय बल्कि
ये हम सब
छत्तीसगढ़िया
मन बर तिहार ए।-
वो भी का दिन रिहिस हे जब फेक फेक के लिखत रहेन😂
आज कइसे दिन आगे देख देख के लिखत हन😜😂
#छत्तीसगढ़ महाविद्यालय परीक्षा #-
सिलवटें फ़िक्र की पेशानी में दिखता है
यार वो बंदा बड़ी परेशानी में दिखता है
उसकी वफा भी शिद्दत से लूटी गई होगी
सब उस मासूम की नादानी में दिखता है
जानना है हाल तो झांक लेना कभी आंखों में
दर्द सारा उसके आंखों के पानी में दिखता है
वो झूठी हँसी हँसता है उसके रूह को समझना
किरदार तो झूठा अक्सर कहानी में दिखता है
सच ये है दर्द उसका कोई देखना नहीं चाहता
देखना चाहो तो बड़ी आसानी से दिखता है..
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जिनगी हा जब बीच डगर मा रद्दा ला छोड़ देथे न, त कुछु नी सुहावय ।
न काखरो सुरता आवय,न कखरो गोठ भावय!
वो बेरा मा खुद के खुद संग भारी चलथे!
जिनगी के लबारी चलथे, खुद के खुद संग निस्तारी चलथे!
मनखे के अटघा म रबे त फस जबे, ईहा कोई संग देवाईया नो हे!
सुख के बेरा म जम्मो आथे अऊ दुख के बेरा म टसक जाथे!
जिनगी कोई खुसियार के खेती नो हे, जेन जिनगी भर मिठ्ठच रही ।
ये तो करू करेला आय, कच्चा खाबे त ओकीया डरबे अऊ रान्धबे त सोरीया डरबे ।
कहिथे अपन के जिनगी अपनेच ला जिये ला परथे , पर इहा तो खुद ला छोर दुसर के संसो रथे।
बने करबे त आँखी गड़थे, बिगड़बे त चारी करथे!
कभ्भू लागथे ये जिनगी ला गोठेच बर बनाय हे, तेकर सेती तो ए हर जम्मो मनखे म समाय हे!-
"बेटा सूरजेवाला..
थोड़कन कंधा मा बिठा के
घुमाए दे पप्पू ला...
इस बार भी ओहा चढ़ नी पाए हे
गाड़ी मा...
दो हज्जार चऊदा से डैली
ओला कंघी कर के भेजथौं मैं हा
हपट के गिरा जाथे
इ किसान आंदोलन के गाड़ी भी
छूट ही गईस... "
"हव चाची घुमाए देथौं...
पर अगली बार न
राॅकेट लॉन्चर ले आबे
और ओहिच मा सीधा
लाॅन्च कर देबे पप्पू ला...
हाँ नहीं तो... "-
सरग घलो लजा जाही,महतारी तोर कोरा ले।
छप्पन भोग बेकार हे दाई,तोर बासी वाले कटोरा ले।।
काँटा गड़थे पाँव मा मोर,पीरा तोला जनाथे ओ।
होथंव जब जब मैं पियासा,हिचकी तोला आथे ओ।।
दुख सहिके सुख बाँटे तैंहा,अपने हाथ के फोरा ले।
सरग घलो लजा जाही,महतारी तोर कोरा ले।।-
# #मनमीत # #
मीला के मारे तैंहा मोला,
काबर मया के प्रीत ओ...
तोर बिना कोनो नई हे ,
मोर मन के मीत ओ...
मोर जिन्दगी के तार तैंहा,
अऊ हावस संगीत ओ...
तोर बर सब हार गयें,
नई हे कोनो जीत ओ...
मोला कुछु सुहावय नही,
नई हे कोनो नीत ओ...
तोला देखे बर नैना तरसत हे,
ये रैना झन जाही बीत ओ...
नई हे कोनो अब करईया,
मोर जिन्दगी के हीत ओ...
का बतावव तोला रानी,
ये दुनिया के रीत ओ...
दुनिया देखत रह जाही,
होही हमर मया के जीत ओ2....
-राजेन्द्र राठौर
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हाबय सियाही से नता मोर
हाबय तोर जवानी नवा नवा
ता तँय जिस्म के बगरा अंजोर ,
आंखी के रंग उतर जाही अगोरा मा
तँय कागज के रंग झन बता मोर !-