अनंत प्रेम की निश्छल धारा,
केवल माँ में समाहित हैं..❤
क्यों कि माँ के प्रेम का,
कोई पूर्णविराम नही होता..🙏
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Chhattisgarhi + Hindi poetry writer
शौक नहीं हमें famous hone का,
हम तो ... read more
दुआओं की महफ़िल में,
हर दुआ तुझ पर कुर्बान..
मेरी आँख का तारा बेटा,
तू मेरा नन्हा सा जान..❤
सफलता मिले हर राह पे तुझको,
आशीर्वाद हो सबका तेरे नाम..🥰
जन्मदिन मुबारक हो तुझको,
मिले तुझको हर एक मुकाम..
Happy Birthday samyak betu🎂❤-
B.ed सहायक शिक्षक के दुख
मुड़ मा कोनो पागा नई हें,
बोले बर कुछु भाखा नई हे..
का गोठियाव मोर दुख-पीरा ल,
मोर जिनगी के कोनो शाखा नई हे..
पढ़ेव मै अंतस रमा के,
अंधियारी म अंजोर करे बर..
अंधियारी जगजाहिर होगे,
अंजोर के कोनो आशा नई हे..
का गोठियाव मोर दुख-पीरा ल,
मोर जिनगी के कोनो शाखा नई हे..
लुटागे अब मोर रोजी-रोटी( नौकरी),
ईहा नियाव के कोनो सांचा नई हे( समायोजन)..
घर म मोर लाचारी छागे,
अब रेंगे बर कुछु पासा नई हे..
का गोठियाव मोर दुख-पीरा ल,
मोर जिनगी के कोनो शाखा नई हे..-
जग की तारणहार तू माता
दुष्टो का तू करे संहार..
नव रूपों मे तुम हो आती,
हर रूप मे छुपा हैं सार..
कोई समझ न पाए तुमको,
लीला तेरी हैं अपरंपार..
झूमे सब तेरी भक्ति मे,
पूजे तुमको सारा संसार..
- Rani sahu✍️🌿
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जिनगी म का चीज के तलाश करो,
जब मोर हमसफर अतना खास हे.. ❤
अंतस म मया के समुंदर भरे हे,
अऊ संग म बड़ विश्वास हे..❤-
जिंदगी के इम्तिहान मे ,
सफर अभी जारी हैं....
सफलता भरी राह मे,
असफलता अभी भारी हैं।
चलता जा बस चलता जा तू,
कर्मपथ की बारी हैं।
न हो तू मायूस कभी,
बहुतों ने किस्मत हारी हैं।
न देख तू पीछे मुड़कर,
आगे कदम बढ़ाते जा।
न हो तू मायूस कभी,
सपनो को खूब सजाते जा।
किस्मत भी होगी तेरी एक दिन,
जितने को दुनियां सारी हैं।
रख हौसला तू खुद में हरदम,
अब तेरी ही तो बारी हैं।
जिंदगी के इम्तिहान में,
सफर अभी जारी हैं.......-
जेकर ले हमर छत्तीसगढ़ के नाम हे।
जेकर चिन्हारी म,
हमर छत्तीसगढ़ के पहचान हे।
हमर संस्कृति के जतन करईय्या ,
जम्मो आदिवासी ल कोटी- कोटी प्रणाम हे।-
मोर मयारु...
तै कथस न कतेक मया हे मोला तोर से ,ता सून..
मया के डोरी म बंध गे हव,
वो डोरी ल मया के गांठ बनाहू।
सात वचन के सातो फेरा,
अउ तोर नाम के मय हर सिंदूर सजाहू।
आहू मै तोर अंगना म,अर्धांगिनी बन तोर मान बढ़ाहू।
सात जनम बर नहीं मयारु,
जनम-जनम तोर साथ निभाहू।-
जिनगी ह चलत हे, चलतेच रही।
तोर करम ल तै कर,
देखईय्या मन तो जलतेच रही।
मिल जहि जउन दिन, तोर मंजिल के ठिकाना...
पा लेबे तउन दिन,
तोर जिनगी ल जिये के बहाना।
नी करेस करम बने,
त जिनगी भर तोला खलतेच रही।
मनखे मन के का रखे हे,
गोठ तो छिन म बदलतेच रही।-
मया हे तोर ले अब्बड़ के,
मोर जिनगी म मया तै गढ़बे का?
दिन गिनत हो, तोर जिनगी म आय बर।
मोर मांग म सिंदूर तै भरबे का?-