तोर बिन घर के छईहां उदासी
भुइंया ह खो देथे अपन मान ग
तोर म दुनिया बसथे मोर ' पापा '
तैंही मोर जीवन के आधार ग..!-
तन ह त घूर जाही माटी म,
लिखे रि जाही अक्छर निशानी म ।।
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हिरदे संघारे जावय तोरे पग संग म
आरूग आँसू सिंचय,तोरे सुरता मन म
करँव बिदाई जोहार ये मोर महामाय,
नेंग करंव चाउंर-दूबी,जंवारा श्रीफल म !-
ये मोर जिनगी म
जे धूप-छाँव
अंजोर-अंधियार होथे
एमा बस तोरे हाथ बात हे!-
आगास कोति आंखी
निहारत रहिंगेंव मंय,
भुंइया ले पानी निथार
के लेगे डहर रेंगइया ।-
हिरदे के मान रख ले कर
मोर जहुरिया संगी,
मया के फूल अइलावय झन
थोड़किन धियान रख ले कर ।-
हिरदे तक बात पहुंचय
त बात बनय
हवा म डारा तको डोल जाथे,
जर तक बात पहुंचय
त बात बनय ।-
न काया, न कल्प ,तोर मया म सुद्ध भुलाये बैठे हव,
न राग, न धून के मोला पता हे, तभो ले तोर नाव के गीत गाये बैठे हव ।
_आदित्य साहू 🌠
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लईका के हाथ के रेखा के दिशा बदल देथे,
ददा के त्याग, जिनगी के शिशा बदल देथे।
मया ल हृदय के भीतरी म सजा के रखथे,
लईका के खुशी खातिर,कतको पीरा सह लेथे।
झन तरसाबे परबुधिया कभु बाप ल,
दू कउरा अन्न देके, मया के बोली बोल लेबे।
सुरता कर लेबे बाप के त्याग,सह लेबे जिनगी के ताप ल।
मत बनबे भलकुन श्रवण कुमार,दे देबे थोकिन सहारा,
दू लोटा पानी जियत म पुछ लेबे,नइ जावय ग गँवारा।
~आदित्य साहू...✏
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