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छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया❤
Joined 7 April 2019


छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया❤
Joined 7 April 2019
19 MAR AT 22:06

घूम लिया दुनिया, अब तेरा प्यार चाहिए
जोड़ दूँगा खुद को, बस तेरा नाम चाहिए ।
साथ चलू संग तेरे, ऐसा अभिमान चाहिए
छु लू आसमान, ऐसा छलांग चाहिए ।
हर कदम सुकून मिले, वह मुक़ाम चाहिए
बाहों में तेरी, बस थोड़ा आराम चाहिए ।
हमेशा पास रहूँ, ऐसा एक काम चाहिए
लबों की प्यास बुझा दे, ऐसा अरमान चाहिए ।
कभी ना उतरे नशा, बस वह ज़ाम चाहिए
घूम लिया दुनिया, अब तेरा प्यार चाहिए।


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14 MAR AT 22:23

14 मार्च 2024
प्रिय धानी,
             आज शाम जब मैं तुम्हारी यादों को साथ लेकर पोर्ट ब्लेयर की सड़कों पर निकला तो मुझे पुलिस वालों ने रोक लिया, दरअसल एक शराबी ने मुझे टक्कर मार दिया और शायद जितना नशा में वह था उससे कहीं ज्यादा मैं था, तुम्हारे प्यार के नशे में। उस शराबी को तो पुलिस अपने साथ ले गयी फिर भी मुझे लगता है गलती मेरी ही थी, जो सामान्य सड़कों पर भी इश्क़ का रास्ता समझ कर मनमानी से चल रहा था और इश्क़ का रास्ता हमेशा से एकतरफ़ा ही रहता है, वापसी में दुर्घटनाओं का खतरा हर कदम पर बना रहता है। वैसे दुनिया मे अनेकों घटनाएं घटित होती है जो हमे अपार खुशी या तकलीफ़ देते है लेकिन आँखों में आंसुओ का आना और पलकों से निकलने से पहले ही सुख जाना उन
सबमें सबसे अधिक दुःखद दुर्घटना है । अच्छा तुम्हारे हिसाब
से कौन सा नशा अच्छा है शराब का या प्यार का...? क्या तुम
भी पुलिस की तरह मुझे पकड़ कर नहीं रख सकते, हमेशा
हमेशा के लिए अपने पास...?
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11 MAR AT 8:32

दोस्ती के फूल, हर बाग नहीं खिलते।
बिन तुम्हारें कोई ख़्वाब, हकीकत नहीं बनते।
गली बदले, शहर बदले या बदले दुनिया,
सुख दुःख में साथ रहे, ऐसे दोस्त हजार नहीं मिलते।





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7 MAR AT 22:07

तुमसे दूर होकर भी मैं,
ताउम्र गुजार दूँगा ।

तेरे आने की उम्मीद में,
ख़याली तसल्ली खुद को दूँगा ।

आंख बन्द होगी तब भी,
बस खुशबु से ही पहचान लूँगा ।

छोटी सी जिन्दगी मेरी, लेकिन,
हर साँस तेरे नाम का लूँगा ।


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24 FEB AT 16:27

24 फरवरी 2024

प्रिय धानी,
              मेरी जिन्दगी की किताब में आधे से
ज्यादा पन्नों पर मैंने केवल "इंतजार" लिखा है और
उनमे कहीं आधे अधूरे सपने तो कहीं मेरे प्यारे ज़ज्बात लिखे है। वैसे उन पन्नों पर कहीं अनसुनी अनकहे बाते हैं तो कहीं हम दोनों के मिलने की खुबसूरत कहानी है। अब तो मैंने अपने घर की दीवार पर टंगी घड़ी भी निकाल दिया, क्योंकि तुम्हारे इंतजार में टिक टिक के अन्तराल को भी मैंने इतना ज्यादा महसूस कर लिया कि, अब मैं स्वयं ही घड़ी बन गया जो शायद तुम्हारी याद में रुक सी जाती हैं। हमारा मिलन भी उस बंद घड़ी के जैसा ही है जो दिन में दो बार सही समय बता कर हमे जिंदा रहने का एहसास तो करायेगी लेकिन सुई की तरह कभी मिल नहीं पाएंगे। क्या जितना इंतजार मैंने लिखा है, उतना इंतजार तुमने किया है..?

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9 FEB AT 0:15

09 फरवरी 2024

प्रिय धानी,
जो गुलाब तुमने मुझे दिया था वह आज भी मैंने अपनी पुरानी किताबों में संजोए रखा है। तुमसे बेहतर कोई नहीं जान सकता कि, वह कभी मोहब्बत का ताज हुआ करता था लेकिन आज महज राज़ बनकर मुरझा गया है । उसकी सुखी पंखुड़ियां देखकर मैं मुस्कुराने पर विवश हो जाता हूँ, क्योंकि पुरानी यादें, पुराना एहसास और तुम्हारे साथ गुज़ारा हर एक पल मुझे आकर ऐसे घेर लेते हैं जैसे यह मेरा वर्तमान हो और जब तक मैं इस दुविधा से बाहर निकलता हूँ कि यह मेरा अतीत है, तब तक मेरी आँखों से आँसू निकलकर तुमसे मिलने की चाहत में उन पंखुड़ियों को भिगो देता हैं। क्या ऐसे भिगोने मात्र से वह गुलाब फिर खिल जाएगा..? या फिर यह केवल मेरा भ्रम है..?

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5 FEB AT 11:14

शायरी नहीं अल्फाज़ मेरे
जैसे अधुरी ख़्वाब कोई

खुशियाँ तेरी, ग़म मेरे
जैसे फूलों वाली बरसात कोई

सुकून तेरी, तन्हाई मेरे
जैसे चाँदनी रातों की हमराह कोई





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3 FEB AT 6:05

03 फरवरी 2024
प्रिय धानी,
              जब से मैंने "आकर्षण" शब्द तुम्हारें जुबान से सुना था, तब से ना जाने क्यों, मेरे दिल और दिमाग में यह शब्द ऐसे आता जैसे तेज़ बारिश से पहले की गर्जना लेकिन मैं रोज़ उस गर्जना को अनदेखा करके बारिश में भीगने से पहले तुम्हारे प्रेम को पाना चाहता था ।शायद तुम्हें यह बात पता नहीं था कि आकर्षक तो महज़ आँखों में ठहरा रहता है और आकर्षण से जन्मा प्रेम भी अगले आकर्षक के साथ मर जाता है लेकिन सच्चा प्रेम तो आँखों से हृदय में उतर जाता है और इस अवस्था में आँखों की प्यास कभी बुझती है क्या ? वैसे आज भी मेरी आँखों की प्यास नहीं बुझी, क्या तुम चाय वाली एक खूबसूरत शाम मेरे आँखों के सामने बीता नहीं सकते ? क्या तुम झूठे सपनों में ही सही, मुझसे मिलने आ नहीं सकते ?

...PikU...

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27 JAN AT 6:12

हम धूप छाँव, हर मौसम लिखते हैं
यहां ज़ज्बात भी, कौडियों के भाव बिकते हैं
जितना जतन करना है कर लो तुम...
अंत में टूटे दिल के, अधूरे अरमान ही दिखते हैं।




...Piku...

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19 JAN AT 19:20

19 जनवरी 2024

प्रिय धानी,
मेरा टूटा हुआ दिल, तुम अपने पास रख लेना क्योंकि वह अभी भी बस तुमको ही प्यार करता है। वैसे मेरा दिल गुब्बारे की तरह हैं, जिसमें तुमने अपने मतलब रूपी हवा तब तक भरा जब तक वह गुब्बारा फूट ना गया और जिस प्रकार बचपन में फूटे गुब्बारे से बच्चे कई छोटे - छोटे गुब्बारे बनाते और उनको भी चटका कर पूरा आनंद लेते हैं, तुमने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। अब जिंदगी में ढेरों ग़म है फिर भी गुब्बारे वाले को देखकर, जीने के कुछ बहाने मन में छिपाकर रखा हूँ। एक गुब्बारा फुटा तो क्या जिन्दगी के थैले में हज़ारों गुब्बारे रखा हूँ। क्या तुम फिर से उनमें प्यार रूपी हवा भरना
चाहोगे..? या तुमको अभी भी बच्चों की तरह ही
गुब्बारे से और खेलना हैं..?

...PikU...

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