महल दिखे ना झोपड़ी
टीब दिखे ना बाग़
मन मिन्दर म जो कोई धयावे
वो ही मने खुद सागे पाव
मुरत कोणी सूरत कोणी
बस हीवड़े म नाम बसयो
ना कोई सेवा नेम सू चावे
ना कोई भोग छतीसो चावे
बस भाव को भुखो है
म्हारो सवरीयो♥️
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सर धड़ से जुदा था
धड़ मादरेवतन से जुड़ा था
कृपाण लिए वो शूर
बिन नेत्र खिलजियों से लड़ा था
रावल रतन सिंह की रक्षा में
साका ए हिन्द प्रतिज्ञा में
गोरा संग जब बादल खड़ा था
खिलजियों का साम्राज्य हिला था
बिन सर उनका धड़ लड़ा था
तब जाकर क्षत्रिय बना था
तब जाकर क्षत्रिय बना था-
मायड़ म्हारी.....
गमगी म्हें तो कठी ई जग रा मेळां रे माए,
समरयो थ्हारो नाम.....
अर् पूगी ठेठ पाछी थ्हारा चरणां रे माए।-
गढ़ चित्तौड़ रो हौ वंसज,वो कुंभलगढ़ रो जायो हो।
मेवाड़ी पाग बचावण राणा रोटी घास री खायो हो।
चेतक पे असवार हुयो वो एकलिंग अवतार लीयो।
रजपूती मान बढावण राणा निक्लयो हाथां में अंगार लियों।
अकबर री तानाशाही में हिंदवाणों सूरज चमकायो हो।
राणाओं रो बन राणा वो महाराणा कहलायो हो वो महाराणा कहलायो हो।-
एक कहानी राणा की,कभी ना हुआ कमजोर
साथ रानी अजबदे, दिल में बसा चित्तौड़।
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हर गलत काम पर स्वत: संज्ञान लेने वाले
छोड़ सब कुछ रात में आतंकी को रोने वाले
नोंच डाला चित्तौड़गढ़ में मासूम बच्ची को
कुछ चीखें इधर भी सुन लेते मीलॉर्ड बहरे वाले-
वीरो ने हुंकार भरी
शेरो ने दहाड़ भरी
शत्रु में चीत्कार भरी
शूरा से या धरा भरी
राणा के साहस की धनी
कल्ला के शौर्य से जुड़ी
ऐसी भी ना कोई धरा हुई
चित्तौड़ी आठम की शुभकामनाएं🙏🙏
जय मेवाड़ 🚩🚩-
वीरो ने हुंकार भरी
शेरो ने दहाड़ भरी
शत्रु में चीत्कार भरी
शूरा से या धरा भरी
राणा के साहस की धनी
कल्ला के शौर्य से जुड़ी
ऐसी भी ना कोई धरा हुई
चित्तौड़ी आठम की शुभकामनाएं🙏🙏
जय मेवाड़ 🚩🚩-
महावीर गोरा-बादल-सा न कोई महाबली था,
जो थे कारण कभी खिलजी के खलबली का,
युद्ध में कुर्बानी को तैयार कली कली था,
नौनिहाल कल तक था आज वही वली था,
लिए खड़ा तलवार कटार बच्चा गली गली का,
और जिनमे न था मर्यादाओं का सलीका,
अशिष्ट कहाँ मानते है कभी संदेश अली का!
इधर रणभूमि में श्रोणित का सागर,
उधर दुर्ग के भीतर जौहर की खाई थी।
एक तरफ तुर्कों की कुटिल तुर्काई थी,
राजपूतों ने की उसूलों साथ लडाई थी।।
इतिहास भी चीख कर कहता है,
जब मलेच्छों ने विध्वंस मचाया था।
राजपूतों के पीठ पर तलवार चलाया था,
छत्राणियों ने जौहर से सतीत्व बचाया था।।
छोड़कर दिल्ली जीतने जो थार गया,
कामुक क्रूर मगरूर मलेच्छ मक्कार गया
तख़्त के खातिर अपनों को ही मार गया,
जौहर केतेज के आगे होकर लाचार गया
बर्बर सरताज़ हो बेसुध, बेबस, बेज़ार गया
खोकर साख सिकंदर ए सानी सीमा पार गया
महारानी पद्मिनी से जीता युद्ध हार गया।।-