Dev Chaudhary   (देव_चौधरी)
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आवारा दिल / लेखक
Joined 27 August 2020


आवारा दिल / लेखक
Joined 27 August 2020
30 JUN 2023 AT 22:20

सर ए राह उछाला है उसने आलोक किसी का
और तुम कहते हो मोहब्बत पर कुर्बान ज़िंदगी ?

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29 JUN 2023 AT 11:10

आलोकित जीवन में कोई ज्योति न फिर से आ जाए
तन और धन की खातिर जो पति का प्रेम जला जाए

पुरुष जिया है अपना हर जीवन अनपढ़ स्त्री की खातिर
अतीत गवाह है पढ़ी स्त्री हमेंशा बेहतर की तलाश में रही है

#आलोक मौर्य #ज्योति मौर्य

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16 JUN 2023 AT 21:23

आख़िरी रात होगी ये मेरे बनने बिगड़ने की कहानी में
मिल जाएगा मुकम्मल इश्क़ या लुट जाएँगे भरी जवानी में

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16 JUN 2023 AT 14:04

चलो! ज़िंदगी का आख़िरी समझौता कर लेते हैं
हिस्से में दीं खुशियाँ तुम्हें, हम ग़मों को ले लेते हैं

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16 JUN 2023 AT 14:02

छोड़ देता है जिनके जज़्बातों को सुनना ज़माना
कहानी उनकी अक्सर दो पन्नों में रह जाती है

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15 JUN 2023 AT 21:35

हज़ारों ख़्वाब जलते हैं तब बनते हैं हम जैसे
ग़मों में डूबकर भी मुस्कराना आसान थोड़े है ।

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15 JUN 2023 AT 21:27

कोई चाहता ही नहीं है खुश रहना यहाँ
हर एक शख़्स डूबा है ग़मों के समंदर में

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15 JUN 2023 AT 21:23

साथ नहीं देता कोई सबकी अपनी-अपनी मज़बूरी है
ख़ुद तक सीमित दुनियां में होती कहाँ हसरत पूरी है

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10 JUN 2023 AT 18:14

अज़नबी शहर की हर सुबह मेरे ग़म में बदल जाती है
उम्मीदों की एक किरण धूप में भी कहाँ नज़र आती है
और भूल बैठा हूँ अब घरों के दरवाज़े सारे ही अपनों के
डरता हूँ मौत से हरपल ज़िंदादिली भी तो क़हर ढाती है

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10 JUN 2023 AT 18:08

पंखा ही आखि़री उम्मीद हो जाता है उसके के लिए
शख़्स ठोकरें जो चहुं ओर से खाकर थक जाता है

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