बहतरीन तरबियते सहमी हुईं हैं,
चालाकियों से भरा ज़माना है,
ए नर्म मिज़ाज शख्स ज़रा सम्भल के चलना,
दिलों में नफ़रते हैं, ज़ाहिरी दोस्ताना है! ✍️-
सोचते है दुनिया की तरह हम भी,
चालाकियां सिख ले,
हर रोज़ हम अपनी सच्चाई,
से ही हार रहे हैं।-
नज़र जा रुकी है तुम्हारे चेहरे पर ऐसे
जैसे कब से उसे तुम्हारी ही तलाश थी
हटती नहीं पल भर भी तुम्हारे चेहरे से आँखें
न जाने कई जन्मों की आज बुझी प्यास थी-
Jnb.....khudaii k rstey par...
Kyu khuda Se achaii ki naymath...
Asi masumiyath sajaoo Dil mein..ki.
Khuda nawazey tumhey ki ...
Har Qwahish ho mukammal Teri... jayap...!!
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मुख पर सुंदर मुस्कान लिए
दिल में टूटे अरमान लिए
:
पहर के मैं पहरी बन
मिथ्या को ना समझ पाई मैं
:
नींद खुली ख्वाब टूटे
विरह वेदना से स्थिर मैं ।।-
चालाकियां सीखी है तुमनें कहाँ से हुस्न से खजरं
दिल पर चलाओ ना मुझे यूँ मदहोश ना कँरो अपनी बातो से-
नफरतो के शहर में चालाकियो के डेरे है,
यहां वो लोग रहते हैं जो तेरे मुहँ पर तेरे हैं,
मेरे मुहँ पर मेरे हैं !-
कर लो गुरूर ख़ुद पर ये हक है तुम्हारा
और लौट कर केसे नहीं आए हम
हमें तो आपकी आवाज़ और सादगी से भी
इश्क़ हो गया था-
ज्यादा चालाकियां भी,अक्सर औंधे मुंह गिराती हैं
कहते हैं कि अति तो हर चीज की बुरी ही होती है-