जब नींद नहीं आती है कुछ लिखने बैठ जाते हैं
दुनिया की भीड़ में सुनते रहते हैं गैरों की
पर जब नींद नहीं आती है खुद को सुनने बैठ जाते हैं
ऊपर से खामोश अंदर बहुत शोर है
समझ नहीं आता यह मैं हूं या कोई और है
जिन बातों को दिन भुला देती है रात उसे कुरेदकर याद
दिलाती है
बस यूँ ही अपने दर्द को दिल में छुपा लेते हैं
पर जब नींद नहीं आती है दर्द को को लिए सिरहाने रोते हैं
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तुम साथ हो तो हर मंजर सुंदर नज़र आता है
बहार कैसे ना आए हम तक हमें तो कांटों में भी फूल नज़र आता है
बस तुम साथ हो तो हर अंधेरे में भी नूर नज़र आता है
लोग कहते हैं कि किरदार हमारे बदले से लगते हैं
तुम साथ हो तो हममें गुरुर नज़र आता है-
मन ही मन की जाने है मन से मन की प्रीत
जग को सुना कर क्या होगा जग बैरी मन मीत-
मन ही मन की जाने है मन से मन की प्रीत
जग को सुना कर क्या होगा जग बैरी मन मीत-
तेरी मोहब्बत ने ही हसीन बना रखा है
वरना सँवरते तो हम पहले भी थे-
पस-ए-पर्दा का होना ही धड़कनों को बढाए रखा है
वरना बेपर्दा होकर घूमने वालों को देखता भी कौन है-
सोचता हूँ फूल फूल के हाथों में कितने अच्छे लगते हैं डाल से टूटकर फूल ऐसे मुस्कुराता है जैसे अपनों को पाकर मुस्कुराता है कोई
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आवाज ख़्वाबों की सुनता नहीं है कोई
ये बसते है आँखों में इसे कहाँ पढ़ पाता है कोई
बंद आँखों में ही बनते हैं ख़्वाब
और खुली आँखों में सब मिट जाते हैं
इसलिए दिल नहीं करता आँखों को खोलने का
बंद आँखों में ही सही ख़्वाब मुक़म्मल तो होता है कोई
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हैं बहुत खूबसूरत आप हैरान हूँ आपको देखकर
खुदा के करिश्मे का गवाह बन गया हूँ-
ख़ूबसूरती के क़सीदे सुनकर खुश हो रहे हैं जो
शायद जानते नहीं
तारीफ के पुल के नीचे मतलब की नदी बहती है-