सिखा दुगा तुम्हें चालाकियां सब झूठ,फरेब,दगा आजमा लेना तुम भी किसी पर भ्रम में रख कर झुका देना सबको पर यकीनन रिश्ते चलाकियो से नहीं मासूमियत से ही ठिकते है
थोड़ा ज्यादा क्या जो लिखना है लिख दो मानता हूं झूठ से किया था शुरू झूठ पर ही हुआ ख़त्म में झूठा ही सही मेरे वादे झूठे पर सच्चा था प्यार मेरा और सच्चे थें हम
बिना लफ्जों के समझ ले आपके जज़्बात ऐसा हर एक शख़्स नही होता खैर छोड़ो बात इशारों से बात करने की हैं ना तो कुछ ऐसा बनायेंगे रिश्त़ा हम आपसे रूह से रूह का की कोसों दूर होंगे आप हम से फिर भी हालात समझे लेंगे हम आपके
जिसने भी कहां सच कहां है यादें रुलाती है याद आती है वो रुलाती है वो जब तुम तन्हा होते हो साथ दे जाती है वो कुछ यादें तुम्हारी करोचती है दिल को जब लगता है जी ना पायेंगे तुम बिन
अब शिकायत है मुझे ख़ुद से थोड़ा भटक गया था लेकिन अब फिर से तेरा होना चाहता हूं जैसे तू चाहती है मुझे अपना काम समझ कर वैसे ही में भी तुझे चाहूंगा अपना प्यार समझ कर