तुम्हें हमसे इश्क हुआ,
तब ही पता चल गया था,
तुमको'चाट'बहुत पसंद हैं।-
आज हमारी रसोई में समोसा बनाने की रुत आई है
और छोला संग समोसा चाट बनाने की बेला छाई है-
सुनाे सहेलियाें आज थाेड़ा मुस्कुराते है
हर समस्या काे मार गाेली चल मिल के ठहाके लगाते है
बचपन की यादें हाे,या क्लास रूम की बातें हाे
वाे पलकाें काे झुका के मुस्कुराना,या किसी शरारत पे दांत दिखाना
चल एक बार फिर से वही सब दुहराते है
वाे गर्मा-गर्म चाट हाे
दाेस्ताें का साथ हाे
थाेड़ी तिखी थाेड़ी मीठी
उपर से कटा प्याज भी डलवाते है
सुनाे सहेलियाें आज थाेड़ा मुस्कुराते है
आज की काेई बात ना करे
हर परेशानी काे ताक पे धरे
आज ताे बस कैंन्टिन वाले विश्वनाथ काे बुलाते है
वाे बनाए गाेलगप्पे
हम यादाें के सागर में डूबकी लगाते है-
गोलगप्पे हाय पानीपुरी कितने दिन तक करुँ सबूरी
दहीबड़े हाय गोल-मटोल दही मसाले में अनमोल
चाट समोसा का हाय ठेला कहाँ गया वो केले वाला
मिक्स फ्रूट की रसीली चाट नहीं है अब कोई हाट..-
राम सिंह की वो कचोरी,
खट्टी मीठी सी वो पानी पूरी...!
छप्पन की वो यादें,
गलियों में किये वो वादे...!
चाट वाली तीखी से वो पपड़ी,
ईलाइची वाली चाय की वो टपरी...!
सराफा में बीतायी वो रातें,
आँखों ही आँखों में कही वो प्यार भरी बातें...!
गर्मियों से गर्मीया आ गयी, हुआ पूरा एक साल...
पर ना जाने कब आएगी?
मटका कुल्फी और बर्फ के गोली की सरर करती हुई फुहार...!
कब होंगी फिरसे सड़को पर वो भीड़,
बेरंग सी इस ज़िन्दगी से कब मास्क का पर्दा हटेगा?
कब खिल खिलाएंगे चेहरे,
ना जाने कब मामा-भुआ के घर हसीं ठिठोली का रंग फिरसे सजेगा...?
केशव सोनी & महिका छाजेड़-