बात बात पर क्रोध न कीजिए, पहले अपने आप को संयम कीजिए।
जो भी हो क्षणिक व्यवधान पहले उसका स्थायी समाधान कीजिए।
रात्रि की तरह आती है ये कठिन परिस्थितियाँ भी सर्वदा ही मेरे साथी।
इनका भी सही से अपनी तीक्ष्ण बुद्धि से सौम्यता संग सामना कीजिए।
क्रोध एक आत्मघाती ज्वाला है मेरे दोस्तों जो सदा ही हानि करती हैं।
पहले रक्त तदुपरांत हृदय उसके बाद जीवन जलाती है, क्या कीजिए।
इस क्रोधाग्नि में जलकर के तो बड़े-बड़े राजा-महाराजा स्वाहा हो गए।
आपकी और हमारी तो गिनती ही क्या है, इस बात पर ध्यान दीजिए।
इस क्रोधाग्नि में कभी प्रेम जलता है तो कभी रिश्ते तो कभी मित्रता।
मैं तो बस इतना कहूँगा कि जो सही है उनको एक बार बचा लीजिए।
वो जो तुम्हारे लिए अत्यावश्यक है और हृदय के क़रीब है ना साथी।
एक निवेदन है क्रोध की हानिकारक अग्नि से उनको सुरक्षित कीजिए।
मुझे औरों से क्या राब्ता है ओ मेरे मितवा "अभि" तुम्हें ही कह रहा हूँ।
मुझे एक बस तुमसे ही मतलब है इसलिए इन बातों पर ग़ौर कीजिए।-
गुस्से में कभी गलत मत
बोलो , मूड तो ठीक हो
ही जाता है , पर बोली
हुई बातें वापस नहीं आती ..-
सोचो सूरज
रोज़ नहाये
या
बाल भिगो के
ये बुद्धू बनाये हमें
ये सारे तारे टीमटिमाये
या
फिर गुस्से में कुछ बड़बड़ाते रहे-
क्यो गुस्से मे समझ लेती हूँ
मै तुझे इतना गलत
पर तू है नही इतना भी बुरा
सुन कर तेरी आवाज
बदल जाता है मेरा
गुस्सा भी प्यार मे-
गुस्सा सिर्फ नाराजगी जाहिर नहीं करता है
हद से गुजरा हुआ दर्द भी बयाँ करता है
बस महसूस करने की शक्ति होनी चाहिए
इस पर रिश्ता पक्का या कमजोर होता है-
आजकल धूप बहुत तेज रहती है
लगता है
वो भी तुम्हारी तरह गुस्से में रहती है-
खोने से डर रहे हो,
चिंता में मर रहे हो,
नफ़रत है आईने से,
फ़िर भी संवर रहे हो?
हमको है ये शिकायत,
नखरा क्यों कर रहे हो?
मौसम में बेरुख़ी के,
तेवर क्यों भर रहे हो.?
बाहों में आ भी जाओ,
दिल में अगर रहे हो,
गुस्से में आज तो तुम,
ज़्यादा निखर रहे हो..!
सिद्धार्थ मिश्र
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कमबख्त तुमभी माचिस की तीली हो गई हो।
गुस्से से लाल पीली हो गई हो।
पारा इतना चढ़ गया है कि इतनी ठंडी में भी।
पसीने से गीली हो गई हो।।
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क्या खूब खेल खेला हैं तूने भी वैसे हम भी खेल के कुछ उसूल निभा आए हैं ,
गुस्से में ही सही तुझसे हारी हुई बाज़ी की आधी बोतल मयखाने में ही छोड़ आए हैं।-
गुस्से में कही हर बात
लगती हैं सबको ही खराब
चाहे कितना भी अच्छा
कह लो यार
समझ न आएगा किसी को
उस वक्त वो बात
इसलिए
गुस्से पर रखो काबू
वरना होगा
अपना ही नुकसान-