Tanweer Karzai   (✍️Tanweer Karzai)
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आती नहीँ मुझे उड़ती पतंगों सी चालाकियाँ,
गले मिल कर गला काट दु वो माँझा नही हूँ मैं।
Joined 12 January 2018


आती नहीँ मुझे उड़ती पतंगों सी चालाकियाँ,
गले मिल कर गला काट दु वो माँझा नही हूँ मैं।
Joined 12 January 2018
28 FEB 2022 AT 17:15

ईश्वर ने ब्रह्मांड और ना जाने कितनी ही चीजें इंसानो के लिये बनाई ।

इंसानो ने हथियार बनाये,धर्म बनाये और सरहदे बनाई ताकि वक्त आने पे इन हथियारों के जरिये इंसानियत बचाई जा सके

अब इंसानियत के मायने बदल गए हैं आर्टिफिशल इंटेलीजेंस से मिलती जुलती चीज़ कभी इंसानियत हुआ करती थी।

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13 MAY 2021 AT 5:39

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9 MAY 2021 AT 4:49

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21 APR 2021 AT 2:26

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14 APR 2021 AT 1:40

जमी पे गिरा पड़ा था रुतबा मेरा,
उठाने उसे अब रमज़ान आया हैं,
पहुँचे हैं लोग कई चाँद पे मगर,
चाँद कहाँ कोई तोड़ लाया हैं।

मन्दिर-मस्जिद बन्द हैं आज तो क्या,
हर घर मस्जिद और हर दिल मन्दिर बनाया हैं,
चुनाव के रैलियों में मशगूल हुकूमत ने,
मंदिर-मस्जिद बंद करने का फैसला सुनाया हैं।

मौलवी को उसके पुजारी दोस्त ने ,
इसे साज़िश की आशंका बताया हैं,
खा गए उस मुर्गे को भी पका के आज,
जिसने सुबह सारे मोहल्ले को जगाया हैं।

तोड़ दिया उसने फिर आज अपनी कलम को,
किसी ने पत्रकारिता को ही सारा फसाद बताया हैं
फाड़ दी उस नौ जवा ने अपनी सारी डिग्रियां रोते हुए,
जबसे सरकार ने पकौड़ा तलने को रोजगार बनाया हैं।


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29 JAN 2021 AT 21:59

चाय कुल्हड़ की पी और प्याला तोड़ दिया,
पब्जी खेला और पतंग उड़ाना छोड़ दिया,

वक़्त ने तमाचा मारा फिर और दूध के दांत तोड़ दिया,
खैर अब हमने भी खुद-गरजों का याराना छोड़ दिया।।

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1 JAN 2021 AT 1:51

किसी ने कहा था पिछले साल ,नए साल में सब अच्छा होगा,
लेकिन क्या पता था, ख्याली पुलाव में भी चावल कच्चा होगा।

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17 SEP 2020 AT 0:59

भूल जाओ की मैं तुम्हे
अपनी कलम उधार दूंगा,

तुम्हारे छिनने से पहले ही
शब्दों से तुम्हे मार दूंगा।

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21 AUG 2020 AT 22:33

हम सभी अकेले हैं।


उजाड़ दे बेवजह खुशियाँ मेरी,
आखिर ज़माने को क्या हक़,
अकेले हैं लेकिन तन्हा नहीं,
ख़ुदा तो मेरे साथ हैं ही बेशक़।

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17 AUG 2020 AT 10:54

यहाँ ज़िंदगी तो महज़ मिट्टी का घड़ा हैं,
मौत घड़े के टूटने के इंतज़ार में खड़ा हैं।


सावधान! लोग आप पर नज़र रख रहे हैं।

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