Tripti Mandeliya   (Tripti Mandeliya)
641 Followers · 27 Following

read more
Joined 4 May 2019


read more
Joined 4 May 2019
7 APR AT 22:08


वादों और जज्बातों से जुड़ा रिश्ता है अपना
कशिश प्यारी सी खींचती है आपकी तरफ यूं
धड़कन रुकी रही दीदार के इंतजार में आपके
रुबरु होकर भी न कह पाई अपना हाल ए दिल
तब मैंने जाना मोहब्बत में सब्र करना जरूरी है
मिलन में एक थोड़ा ठहराव भी जरुरी है

-


13 JUN 2023 AT 8:22

खामोश लकीरों में भी उफान उठने लगा है
जर्रा जर्रा भी अपने आंसू रोने लगा है
वक्त की इबादत वक्त पर नहीं की थी
तो समुद्र भी आग जैसा सुलगने लगा है

-


14 MAY 2023 AT 11:13

तलबगार आपके है और हमेशा रहेंगे कृष्णा
जो दुनिया के हर पहलू से रुबरु करवाया है।
नसीब की बेड़ियों में जकड़ा न महसूस हुआ
जब से मैंने ,चरणों में तेरे सहारा पाया है।
रात -दिन,महीना मौसम तेरी करामात ही है
इनके साथ जिंदगी का हर लम्हा बिताया है।
पाकर तुझे ऐसा लगा सब में तू ही है बसा
मेरे मन की हर दुविधा को तूने सुलझाया है।
बस हर सजदा तेरे आगे हो अब से मेरा
मेरा सहारा केवल तेरा अक्स और तेरी छाया है।

-


13 MAY 2023 AT 9:49

हैरत हो गई हमें जब आपके जहन का पता चला
कबसे हमारी यादों ने ही डेरा जमाया हुआ है

आप ये कहते हो कि मैं किसी के लिए नहीं रुकता
फिर भी मेरे लिए ये गुलिस्तां सजाया हुआ है।

कयामत से कयामत तक भी ये शहर नहीं बदला
आप की नज़रों से ही क्यों कहर बरपाया हुआ है।

कभी तो लाज़मी बातों की आगोश में आइए
क्यों हर वक्त सख्त दिल का ताज माथे पर सजाया हुआ है।

-


11 MAY 2023 AT 22:16

फकत मोहब्बत से दिल तेरे नाम नही करेंगे
नजरों में इज्जत भी ज़रूरी है।

-


11 MAY 2023 AT 18:49

सोचती हूं कभी अकेले ही बैठे हुए
अपने आप को खुद में ढूंढते हुए
क्यों नहीं मिल पा रही खुद से अब
यही पहेली हर दिन उलझते हुए
क्या मुझे किसी सपने की आस है।
या हकीकत ही मेरी इतनी उदास है।

कभी कमजोर तो कभी मजबूत हूं
कभी वाचाल तो कभी सिर्फ बुत हूं
खुद की सखी हूं यह एक सच है
मन की बातों से मैं भी अद्भुत हूं
क्या मुझे किसी सपने की आस है
या हकीकत ही मेरी इतनी उदास है।

दृढ़ इच्छा शक्ति से अब आगे बढ़ गई
खुद के संग अब राह में निकल गई
मृगतृष्णा के भंवर में न उलझना मुझे
अपनी हदों से अब आगे निकल गई
अब न मुझे किसी सपने की आस है
और न ही हकीकत मेरी इतनी उदास है

-


9 MAY 2023 AT 11:12

सद्भावना और निष्ठा,की ललक देखने को मिलती है
भक्ति और शक्ति की अरदास तेरे चरणों में लगती है
बेशकीमती पत्थर हो या मामूली सी मिट्टी हो कोई
तेरी आस्था में तेरी चांद सूरज सी झलक लगती है।

-


7 MAY 2023 AT 23:41

शिकायतों का सिलसिला कब तक चलता रहेगा
उम्मीदों के बदले गिला कब तक मिलता रहेगा

-


5 MAY 2023 AT 12:38

हकीकत के रुबरु आकर नहीं ऐतबार होता है
कि चांद जैसा आशियाना भी दागदार होता है।

-


5 MAY 2023 AT 12:32

सफर तेरे साथ मेरा हसीं होता
क्या जरुरत अकेले जाने की
तू आगे बढ़ चुका बहुत
नहीं दूंगी आवाज बुलाने की

-


Fetching Tripti Mandeliya Quotes