अधरों में राग अमंद पिए, अलकों में मलयज बंद किए
तू अब तक सोई है आली, आँखों में भरे विहाग री !
बीती विभावरी जाग री !-
5 FEB 2021 AT 5:16
25 JAN 2021 AT 23:03
गुलामी कहोगे तो आज़ादी लिख दूंगा............
मेरे खून में ही इंकलाब बहता है..............-
25 MAY 2020 AT 19:51
गुलामी कहोगे तो आज़ादी लिख दूंगा............
मेरे खून में ही इंकलाब बहता है..............-
15 AUG 2018 AT 8:37
ज़रा सोचिए!
आज भी जब हम
"Happy Independence day"
बोलते हैं
तब कहीँ दूर बैठा
एक अंग्रेज मुस्कुरा देता है...
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27 AUG 2020 AT 11:01
इज्जत करते है.. गुलामी नहीं,
अगर पलकों पर रख सकते है..
तो नज़रों से गिरा भी सकते हैं..-
10 DEC 2019 AT 7:46
हर किसी को सरेआम कैदी बना देती है,
सामर्थ्य और चाहत के बीच की ये चारदीवारी।-
4 DEC 2018 AT 13:47
ये कैसी गुलामी में जी रहा है इंसान
हर कोई उसे आजाद नजर आ रहा!!
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4 MAR 2021 AT 10:28
अगरबत्ती जलाकर घंटा बजाने से बेहतर है, कि
मोमबत्ती जलाकर संविधान अच्छे से पढ़ लो।
अंधविश्वास व मानसिक गुलामी से बच जाओगे।-
17 MAY 2020 AT 9:06
इश्क और मेरी बनती नही
साहब...
वो गुलामी चाहता है और
मैं बचपन से आजाद ..!
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