हर दिन..
हर पल...
हर क्षण न सही..
पर जब भी तेरी याद आती है !
कसम से बहुत याद आती है !!-
//गर्मी की छुट्टियाँ//
इंतजार करती रहती हूँ, कब आएँ गर्मी की छुट्टियाँ।
मैं जाऊँ नानी के गाँव, खाऊँ चूल्हे पर सिकीं रोटियाँ।
नाना जी का हाथ पकड़कर, पार करूँगी संकरी गलियाँ।
कभी जाकर मामा के साथ, देखूँगी गेहूँ की बालियाँ।
दही बिलोने पर सुन पाऊँ, मामी की खनकती चूड़ियाँ।
कभी आम के पेड़ पर चढ़कर, तोड़ूगी मैं खट्टी अम्बियाँ।
कभी झूला बन मुझे झुलाएँ, नीम की वे नरम डालियाँ।
भाग कर खाली मैदानों में, कभी गिनूँगी भेड़- बकरियाँ।
रजनी, नेहा और राजू के संग, पकड़ूँगी मैं रोज तितलियाँ।
जल्दी जल्दी बिना रुके, चढ़ जाऊँगी मंदिर की सीढ़ियाँ।
भगवान को मैं अर्पित करूँगी, नन्ही- नन्ही कोमल कलियाँ।
इंतजार करती रहती हूँ, कब आएँ गर्मी की छुट्टियाँ।-
डेढ़ महीने के इंतज़ार पर फेर दिया पानी...
बस कर तू गर्मी ! अब अपनी मनमानी...-
गर्मी की छुट्टी जैसे आई
साथ अपने वो मोहल्ले का
मेरा बिछड़ा प्यार लाई,
अंतर बस इतना सा है कि
तब वो मेरी बाईक पर हुआ करती थी,
अब वो अपने शौहर की बाईक पर आई।-
हे खुदा छुट्टीराम, सबकी छुट्टी की 🔔बजाने के Online सफ़र पर
खुदा छुट्टीराम-
"रूक-रूक-रूक ओ रे छुट्टी के बच्चे, तुम थोड़ी देर और ठहर जाओ!
बिन मेरी मुक्की खाये, कहाँ चल दिये? जरा इधर तो आओ!
पहले छुट्टी(अग्नि-वायु-आकाश-धरा-पानी) की मुक्की से खूब भरवा जाओ!
🚶♂️🔔👂🤛छुट्टी(🔥🌬🏞🌍💦) की मुक्की
और दिल❤💎 में छुट्टी(🔥🌬🏞🌍💦) को भर कर सर्दी-गर्मी से छुट्टी पाओ,
यानि कि गर्मी में सर्दी और सर्दी मे गर्मी का अहसास पाओ!"
"ओ रे खुदा छुट्टीराम,
हमें सर्दी में गर्मी और गर्मी में सर्दी क्यों महसूस होती है?"
खुदा छुट्टीराम-
"मेरे प्यारे बच्चों,
मेरी छुट्टी❤💎🔔 से भरी हर 👊मुक्की में बहुत ही दम है,
गर्मी में सर्दी और सर्दी में गर्मी की छुट्टी(हिम्मत) भर देते हम हैं!"-
गर्मी की छुट्टियों में लोग,
शिमला, मनाली घूमने जाते है,,
हम कहीं नहीं जाते,
गर्मी ख़ुद हमारे घर आती है,,
छुट्टीयां मनाने।।
😀😃😄-
जब गर्मी की छुट्टी होती थी
गाँवों की बाते होती थी
बहता पानी रहता था
खेतो मे बाड़ी होती थी !!
तब भूख किसे ना होती थी
धूप भी प्यारी लगती थी
जब गर्मी की छुट्टी होती थी
गाँवों की बाते होती थी !!
दिन भर की थकान
रात मे नींद गहरी थी
दुनिया की चिंता से बेफ़िक्र
सुबह भी जल्दी होती थी
जब गर्मी की छुट्टी होती थी
गाँवों की बाते होती थी !!
-
आम,फलों का राजा यूँ ही नही कहलाता
खट्टे और मीठे रस का लाजवाब संतुलन इसे ये उपाधि दिलाता
ये अपने मौसम के साथ यादों का गुलदस्ता भी साथ लाता
कि बचपन की हर गर्मी छुट्टी की मस्तियाँ ताजा कर जाता
किसी के नानीघर ,दादीघर कि यादों की सौंधी सी खुशबू छोड जाता
जितना भी खाओ मन ही नहीं भर पाता
जी चाहता जो सालो भर होता तो बस मजा आ जाता-
गर्मी की छुट्टी हुई, लेकिन हम मजबूर।
हमसे पूछो तुम मगर, ठहरे घर से दूर।।
ठहरे घर से दूर, कहो काहे की छुट्टी।
घर आँगन से दूर, चढ़े यादों पर मिट्टी।
कह अभिनव कविराय, हाय सरकारी कर्मी।
कोरोना को भूल, सहो पहले ये गर्मी।।-
मुझे छोड़ कर,
यकीनन वो गफ़लत में जी रहा होगा
कि रो-रो कर लड़की मर जाएगी....
उसको मालूम नहीं यारों,छुट्टियाँ करीब हैं गर्मी की
पतंगों के मानिंद उड़ के सर्र से ये लड़की
नानी के घर पहुँच जाएगी💁🙈🙉🙊-