Divya tannu   (दिव्या)
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Joined 2 June 2020


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11 MAY AT 10:47

माँ तो माँ होती
जिनके बच्चों में इनकी जाँ होती
इनसे ही निस्वार्थ प्रेम परिभाषित होती
ममता का भवसागर , त्याग की मूरत होती
बिमार जो पड़े हम, हमारे सिरहाने रखी इनकी नींदे होती
दर्द में हम होते, आँखे इनकी रोती
माँ तो माँ होती
जिनको बच्चों में इनकी जाँ होती....

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7 MAY AT 12:35

" सिंदूर"
क्या हैं वजह की घर के भीतर पैदा हो ही जाते जयचंद जैसे गद्दार
जिसने खोले है हमेशा हिंद के द्वार
जिससे उजड़े है मांग के सिंदूर हर बार
कभी ताज कभी पुलवामा तो आज पहलगाम
कब रुकेगा ये नृशंस आतंकवाद का सिलसिला जो हो गया है आम

क्या वजह है शिक्षा, बेरोजगारी या गरीबी
या असमानता की जहर बोई गई
कुछ तो है बात जिससे खड़ी हो गई है नफरत की दिवार
इतिहास गवाह है इस हिंदू मुस्लिम के मजहबी दिवार
पर बंदूक रखकर कितनों ने खेली खून की होली बार बार
चाहे वो अंग्रेज हो या ये आंतकवाद
सवाल अब भी वहीं है कि
क्या हैं वजह की घर के भीतर पैदा हो ही जाते जयचंद जैसे गद्दार
जिसने खोले है हमेशा हिंद के द्वार
जिससे उजड़े है मांग के सिंदूर हर बार

भारतीय सेना की शौर्यता विरता अदम्य साहस को दर्शाता
यूं ही सिंदूर मिटने नहीं देंगे ये जवाबी कार्यवाही बताता
पर जो खो चुकी सिंदूर अपना उसका कीमत कौन चुकाता?
क्या होगा शरीर के बाहर फोड़ो को फोड़ कर
जब शरीर के अंदर घर कर गया हो कैंसर
आंतकवाद की सांखे काट कर नहीं रुकना इस बार
उखाड़ फैंकना इसे जड़ो समेत
ताकी ये सवाल फिर कभी न उठे कि
क्या हैं वजह की घर के भीतर पैदा हो ही जाते जयचंद जैसे गद्दार
जिसने खोले है हमेशा हिंद के द्वार
जिससे उजड़े है मांग के सिंदूर हर बार....

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16 AUG 2024 AT 10:59

निकली थी दूसरो की जीवन रक्षक बन,
खुद की अस्मत भी बचा न पाई
वेदना,पीड़ा,निर्ममता,निष्ठुरता,ह्दयहीनता की पराकाष्ठा भी ये देख शर्माई
माता पिता आत्महत्या की ख़बर सुन हड़बड़ाए
घंटो इंतजार के बाद अर्धनग्न छत्त-विक्षत हालत में अपनी होनहार बिटिया को देख घबराए
क्या थी खता उनकी जान न पाए!
कपड़े,समय,स्थान,संगत का हवाला देने वाले टेकेदार भी कुछ बोल न पाए
अस्पताल जो है जीवन रक्षक जगह जब वही भक्षक बन जाए।

पैरो को यू था तोड़ा की समकोण की दर्दविदारक अवस्था में था छोड़ा
आँखो में ही चश्मे को था तोड़ा
हर अंग से खिलवाड़ कर के छोड़ा
कल्पना से परे है उस पीड़ाहारक डॉक्टर की पीड़ा

प्रकृति से हैं हर नारी की एक ही व्यथा
क्यों वहशी दरिन्दे के टेस्टोस्टेरॉन के शक्ति के आगे पड़ जाती हम अबला
दे कलयुग में स्वरक्षा का कोई वरदान या
न जन अब बिटिया यहां..
न जन अब बिटिया यहां..


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9 MAR 2024 AT 3:07

शून्यता भी शिवम
अनंता भी शिवम
अर्धनारीश्वर भी शिवम
कालभैरव भी शिवम
रिकत्ता से पूर्णंता
सब ही सत्यम शिवम सुंदरम

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22 JAN 2024 AT 14:25

त्रेतायुग से कलयुग आये पर जिसका नाम ना हम बिसराये वो "राम" कहाये
जीवन जिसका पल -पल त्रासदी फिर भी मुखमंडल पर हो गहरी शांति तभी तो मर्यादापुरूषोत्म वो "राम" कहाये
11000 वर्षो के पहले की भी ये सारी बातें पर आज भी जन्म से मृत्यु तक लेते जिनका नाम वही तो "राम" कहाये
आज भारतवर्ष के घर-घर गूंजा जिनका नाम है वही तो "राम" कहाये
राम की धरती फिर आज राममय हो उनके आदर्शो से सीख पाये तभी तो यथार्थ में वो "राम" कहाये।

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22 JAN 2024 AT 14:17

त्रेतायुग से कलयुग आये पर जिसका नाम ना हम बिसराये वो "राम" कहाये
जीवन जिसका पल -पल त्रासदी फिर भी मुखमंडल पर हो गहरी शांति तभी तो मर्यादापुरूषोत्म वो "राम" कहाये
11000 वर्षो के पहले की भी ये सारी बातें पर आज भी जन्म से मृत्यु तक लेते जिनका नाम वही तो "राम" कहाये
आज भारतवर्ष के घर-घर गूंजा जिनका नाम है वही तो "राम" कहाये
राम की धरती फिर आज राममय हो उनके आदर्शो से सीख पाये तभी तो यथार्थ में वो "राम" कहाये।

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12 NOV 2023 AT 8:48

मिट्टी के दीपों की लड़ी है दीपावली
अपने के प्यार का मिठास बढ़ाती दीपावली
रंगोली के रंगो सा जीवन रंगीन बनाती दीपावली
शरद ॠतु के आगमन को ऊर्जावान धमाकेदार बनाती रोशनी से सजाती ये दीपावली

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23 AUG 2023 AT 18:58

तेरी सफलता ने विश्व पटल पर अपना परचम हैं लहराया
चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर विश्व में सर्वप्रथम अपना तिरंगा हैं लहराया
असफलता के आँसुओं को,
ISRO के महान वैज्ञानिकों के सतत प्रयास से सफ़लता का नया कीर्तिमान हैं दोहराया।

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19 MAY 2023 AT 19:52

जा के इस वट वृक्ष के पास लगता
जैसे सुना रहा सदियों की दास्तां
लपेटे हो खुद में जैसे कितने क़िस्से कहानियाँ
जैसे कर रहा हो दर्द बयां
कि देख लो मैं हुँ यहाँ सदियों से खड़ा
पर न जाने कब दफ़्न हो जाऊ यहाँ
न जाने कब नीवं हो जाऊ ऊँचे-ऊँचे कंक्रीट के दिवारो का
आने वाले पीढ़ियों को फिर कंप्यूटर में यह दृश्य दिखा
कहना कि होता था एक वृक्ष अत्यंत घना
जड़े जिसकी छूती थी धरा
धार्मिक आस्था से था जुड़ा
कहते थे बह्म विष्णु महेश का वास था यहाँ
हर तरह के औषधीय गुण से था भरा
AC कूलर न करे वो, जो इसके शीतल छाया में था मजा
पर विलुप्त हो गया ,हमारे लालचो के भार तले ये भी दबता चला गया...दबता चला गया।

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8 MAR 2023 AT 10:16

बंसत के आगमन से खिले
वातावरण से कुछ रंग चुरा लूं
आंनद से, उल्लास से भरे रंग लगा दूँ

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