हम तो यूँ ही डायरी गन्दी करते हैं
कविता नहीं आती बस तुकबंदी करते हैं-
सियासत पूरी तौर पे गन्दी हो चली है,
शहर में शिकायतों की मंदी हो चली है
कुसूरवार वो नहीं, वो तो अच्छे हैं,
आजकल जनता ही अंधी हो चली है।
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बस एक यही आदत मेरी गन्दी हो गई,
जिसे मिला उससें मोहब्बत की जुगलबन्दी हो गई ।।-
जब चाहा दुत्कारा जब चाहा पुचकार लिया,
देह की भूख मिटाने हेतु रूहो से बलात्कार किया!
जज्बातो से खेला,शरीर को नोचा इस पुरुषवादी मानसिकता ने,
रौंदा मेरी हसरतो को और फिर मुझे धिक्कार दिया!!
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कैसी बातें करते हो जनाब ये मोहब्बत है,,
लफ़्ज़ों की जुगलबंदी नही जो सब से हो..-
सारा किया धरा पाकिस्तान का है बस...
तुमने तो अपने फ़र्ज़ सब पूरे किए थे न?-
तुम्हारी तो आदत यही रही है
लड़कियों की कमी तुम्हें नहीं है
बीच राह में तुमने छोड़ा
हमने भी फिर मुंह ना मोडा़
अकड़ तुम्हारी कम ना होने
हमने भी फिर यही है ठानी
तड़पोगे तुम मेरी याद में
रोगे तुम मेरी याद में
भूल हमें ना पाओगे
साथ हमारा ना पाओगे
हमने सच्चा प्यार किया है
तुमने सिर्फ बेवफा किया है-
चुनाव का मौसम आ गया !!
पहली दफा राम मंदिर टीआरपी में !
पडोसी पाकिस्तान से पीछे हो गया !-