तेरे ,दर्द से भरे अतीत के पन्नों को जब पलटा,
तो आखो से गंगा छलक उठी।
है प्रभु तेरी लेखनी पर क्या कहूं
सीने में क्रोध अग्नि की ज्वार धधक उठी।।
एक क्षण भी जिस से वो दूर ना हुई
जब ,उसने उसे हमेशा के लिए खोया होगा।
हाय रे विधि के विधाता ,इस मंजर को देख
शायद समन्दर भी जी भर के रोया होग।।
उसके साहस को में सलाम करता हूं
जो इतना दर्द लिए वो खुश रहती है।
अंदर ही अंदर भले चुप चुप के रोती है मगर
दुनिया के लिए होठो पर मुस्कान लिए फिरती है।।-
सुकून जहाँ अनुमान हो वहाँ भी ना मिले ,
तो लोग अंधेरों में खोने लगते हैं धीरे-धीरे !-
इस जमाने में दिल से है 'मेरा कौन'
के नाम पर
दिल को हमेशा से रखा है मैने 'मौन'-
घर की पुरानी दीवारों में अब सीलन होने लगी है,
सुंदरता के साथ ये अपनी मजबूती भी खोने लगी हैं!!
संजो के रखा था अब तक ना जाने कितनी यादों को,
देख के कोने में वो संदूक टूटी, यादें भी रोने लगी है!!
ईट, पत्थर, चूने, लोहे, लकड़ी से बनाया था इसको,
टपकती छत, अब फर्श ख़ुद - ब - ख़ुद धोने लगी है!!
बचपन, यौवन, जवानी, बुढ़ापा सब देखा है यहाँ पर,
अब मौत के इंतज़ार में मेरी साँसें भी सोने लगी है!!
दु:ख, दर्द, व्याधि,थकान,अकेलापन सब देखा कुमार',
उम्र मेरी अब, इस शरीर और मकान को ढोने लगी है!!
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तुम्हे खोने से
तुम्हारे किसी और का होने से
आज भी डर लगता है
तुम्हारे रोने से
तुम्हारी जुबान के खामोश होने से
आज भी डर लगता है
तेरे दूर होने से
तेरे दूर होने से-
लगता है मुझमें तू ज्यादा होने लगा है,
शायद इसलिए ख़ुद को खोने लगा हूँ मैं!-
तूने फिर आज ज़िक्र शर्तो का किया ,
दिल मेरा आज फिर तुझे खोने को चला ..।-
जिंदगी में तुम्हें हम जबसे चाहने लगे है
सारी दुनिया को हम भूल जाने लगे है ।
तेरे दिल की चाहत में हम डूबने लगे है
तेरे चाहत के समुंदर में हम खोने लगे है ।-
जिसे डर ही नहीं है मुझे खोने का ,
उसे अफ़सोस क्या होगा मेरे ना होने का ।
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