मेरा प्रेम..
स्त्री के उभारो पर नही फिसलता,
बल्कि वो उलझ जाते हैं
उनकी खुली जुल्फों में...
अटक जाते हैं पैरों के घुँघुरुओ में ..
और ठहर जाते हैं उसके माथे के बिंदी पर ...-
वक़्त जिन्दगी को ऐसा मोड़ देता है
खुशियाँ भर दामन मे तन्हा छोड़ देता है
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ये हिदायत मुझे देता है वो के होश मे रहो
जो अपनी जुल्फों को खुला छोड़ देता है ।
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अपनी जुल्फें खुली ही रखने लगी हूँ आजकल,
वो क्या है न
दिल को तेरा जुल्फों की ओट से तकना
बहुत भाता है।-
तेरी बेवजह सी बंदिशों में भी दिल कितना आज़ाद है।
उम्र भर इन खुली जुल्फों में बंध जाने की मुराद है।-
गजब का अंदाज है....उसका खफा होने का,
खुली जुल्फें.......और करवट बदल के सोने का!-
खुली ज़ुल्फो
गहरे काज़ल
कान के झुमकों
औऱ होंठो की लाली
के परे
इश्क़ करना तुम
उसके बेबाक अंदाज़
औऱ चमकती मुस्कान से।-
उतनी खूबसूरत तो मैं खुद को अपनी खुली जुल्फों में भी नहीं लगती....
जितनी खूबसूरत मैंने खुद को तेरी इन गहरी सी आँखों में देखा है।-
मैं अपने लटों को अक्सर खुला ही छोड़ देती हूं
ये सोचकर कि शायद तुम आकर
इन खुलें लटों को अपने हाथों से संवार दो ।।-