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मैंने
नहीं लिखा
तुम्हारा नाम
किसी पेड़ में गोद कर
न ही किसी धरोहर की दीवार पर
न कॉलेज की किसी मेज पर,
वो तो मिट ही जाते वक़्त के साथ ।
पर तुमने जो लिखा था,
मेरे सीने में अपनी अंगुली के पोर से,
वो वक़्त के साथ और गहरे हो गये ।
हो सके
तो एक बार आ जाना
और इन्हें मिटा जाना।
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परिचय
प्रोफेसर पांडे अपने नए नवेले दामाद को कॉलेज दिखाने ले गए। सोचा, जो कलीग किसी वजह से कन्या की शादी में नहीं आ पाए थे, उनसे दामाद को रूबरू मिलवा देंगे। फिजिक्स के विभागाध्यक्ष भी नहीं आ पाए थे।
हर विभाग में घूमते और दामाद का सबसे परिचय कराते वे आख़िर में फिजिक्स डिपार्टमेंट पहुंचे। कॉलेज में परीक्षा के सत्र चल रहे थे। कहीं कहीं सख़्त पहरे
में किसी अन्य ज़िले के कॉलेज की कॉपियों की जांच चल रही थी। विभागाध्यक्ष महोदय अपने कक्ष में व्याख्याताओं से घिरे हुए थे। कुछ देर बाद उन्होंने नज़रें उठाईं। सामने प्रो. पांडे को देखकर बोले,
'हां पांडे, कहो, कैसे आना हुआ?'
प्रो. पांडे ने अपने दामाद को आगे करते हुए कहा, 'सर, ये मेरे दामाद हैं, पिछले महीने ही बिटिया की शादी की थी मैंने'
'ठीक है, एक चिट में इनका रॉल नम्बर लिख कर दे दो और रिजल्ट के लिए निश्चिंत रहो' कहकर फिर वे लैंडलाइन से किसी से बात करने लगे और बोलने लगे, 'ज़रा देख लेना, प्रिंसिपल साहब का आदमी है। अस्सी से कम मार्क्स नहीं मिलने चाहिए।'
पांडे साहब नज़रें झुकाए दामाद के साथ कॉलेज परिसर से बाहर निकल आए।-
क्या पता था किसी रोज ये कॉलेज की ईट की इमारत से भी इस कदर मोहब्बत हो जाएगी,
और जो हकीकत है किसी रोज की यादो की सबसे खूबसूरत तस्वीर बनाएगी।
यहाँ दोस्तो की दो महफ़िल सज चुकी है,
एक महफ़िल यही छूट जाएगी और दूसरी हमारे साथ ज़िन्दगी के सफर पर जाएगी।।-
मुझे समझना मुस्किल है ,
क्योंकि मैं उस किताब की तरह हु जिसके शब्द और पाठ हर वक्त बदलते रहते है ,
क्योंकि समय के साथ अपने आप को
अपडेट करना आदत है मेरी,
पर सिलेबस यानी मैं इंसान वही रेहता हु।
अविनाश कुमार मौर्या-
एक जिगरी दोस्त के कहने पर...
माइकल कॉलेज🏘️ की लड़कियों👩🎓👩🎓 को देखने के लिए नारियल🌴🌴🌴 के पेड़ पर चढ़कर बोला...
इंजीनियरिंग कॉलेज🏘️ की लड़कियां👩🎓👩🎓 नहीं दिख रही हैं
जिगरी दोस्त: हाथ🤾🤾 छोड़, मेडिकल कॉलेज🏘️🏘️ की लड़कियां 👩🎓👩🎓भी दिखेंगी।
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂-