दिव्या रानी पाण्डेय 'दिव्य'   (✍ ❁ राघवप्रिया ❁)
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Joined 26 July 2019


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मन को भाए वो "सुख़न " है


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अत्यधिक प्रेम

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Men need to sit with men who have healed perspectives of women.
Women need to surround themselves with women who have healed perspectives of men.
The conversations are different. The energy is different. The love, appreciation, and respect are different.

( Please Read the caption )
कृपया अनुशीर्षक पढ़े 🌻

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राजनीति हो
या
जीवन नीति
परिणीति
चुनाव
ही
निर्धारित करती है।

मैंने संसार चुना
मैं हार गई...

भीड़ मेरे पीछे नहीं
मैं भीड़ के पीछे नहीं

स्याह रंग दिख रहा
उंगलियों पर नहीं
मेरी पलकों पर

संसार हारा हुआ है,
मैं मुस्कुरा रही
अपनी जीत पर

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जब तुम्हारी योग्यता
कुछ अंकों में,
अख़बार के पन्नों में,
कुछ कागजों में दिखाई न दें..

तुम्हें बनना है,अपना हौसला
तुम भावी विजेता नहीं,
अभी इसी वक्त विजेता हो
तुम जगे रहे रात भर,
कितनी शामें,
उदासी भरी रही....

जब कोई नहीं था,
तुम थे अपने साथ ।
तुम विजेता हो,
अभी इसी वक्त....
खुद को पहचानों ।

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और फिर
भावनाओं का समर्थन
हर बार जरूरी नहीं
उनकी सुंदरता
इसी में रही कि उन्हें
महसूस किया गया
हृदय की गहराइयों से

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विवाह: आह या वाह...???

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