...हमारे हक में होती है
एक चुप्पी जिसका
कोई कारण नहीं होता
मैं रह सकता हूँ चुप
जब तक चाहूँ
और जब मुझे
मिलता है कोई दुःख
तो मैं हो जाता हूँ चुप...
(पूरी नज़्म अनुशीर्षक में)-
तु कहती है मै एक कायर हुं,
चल तु मिल जा मै मान लूंगा कि,
मै एक कायर भी हु,
फ़िर भी अगर नही मिले तो खुश रहना
मै तो बिता लूंगा अपनी जिंदगी क्युंकी,
तु नही जानती मै आशिक के साथ साथ
एक "शायर" 📝भी हूँ...-
मेरे मेहफ़िल में कोई कलाकार
तो कोई शायर भी है कोई अफसर तो कोई कायर भी है
आप कहां उनकी भीड़ में छूप के बैठे हैं मेरे पास
आकर बैठिये कि हम तो ये शहर आये अपके लिए ही है-
यह मेहज़ तस्वीर नहीं,
यह कायरों की बहादुरी का प्रमाण पत्र है!!
Read in caption....,;-
आशिक़ ना कहो मुझे ऐ_ग़ालिब,
मैं तो बस एक शायर हूँ |
जो इश्क़ इजहार ना कर सका...(2)
हाँ मैं वही कायर हूँ ||-
कभी कायर थी मैं..
आज कायर मुझे वो लगती है..!
साथ छोड़ती नही कभी मेरा..
आज तकलीफ भी मेरे साथ हसती है..!!-
मैं शौख शायरी का रखता हूं,कोई शायर थोड़ी हूं,
लिहाज़ करता हूं तुम्हारा,कायर थोड़ी हूं।
नाराज हो मुझसे,पर दिल से निकाल थोड़ी ना पाओगे,
हकदार है इस दिल के हम,कोई किरायेदार थोड़ी हूं।
रिश्तों को बचाने में कुछ बाते नजर अंदाज कर जाते है,
समझदार हूं,कोई लाचार थोड़ी हूं।
जरूरत पड़ने पर काम आऊंगा,
जो समझते हो तुम मुझे,उतना बेकार थोड़ी हूं।
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एक तेरे छोड़ जाने से मर जाऊं, कायर थोड़ी ना हूं,
यूं ही लिख देता हूं कुछ भी,शायर थोड़ी ना हूं।-
मूक खड़ा देखता रह जाता हूँ वहशियत
मेरा परिवार है,मैं लाचार हूँ,मैं कायर हूँ।-
दर्द में भी हँसता रहता हूँ मैं, शायद शायर हो गया हूँ.........(2)
अब प्यार के ख्याल से भी ड़र जाता हूँ मैं, शायद कायर हो गया हूँ ||
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