मैं टूटा तो सही मगर हो गया काबिल,
चलो हार से महज़ कुछ तो हुआ हासिल !-
तुमसे मुक़ाबिल होने की मुसर्रत दोनों जहां में थी,
फ़िर दिल को तेरे काबिल होने की फुर्सत कहां थी।-
हर कहानी में मजनू मरता है लैला नहीं, मगर
सुना है लड़कों का इश्क़ वफा के काबिल नहीं
- ©सचिन यादव-
सोचने दो जिसे जो सोचना है वो !
जरुरी नहीं कि -
हर कोई हमारी वास्तविकता समज़ने के काबिल हो !!-
ना हों भले काबिल अब मोहब्बत के, मगर
रंग-ए-लम्स की परत ने रुह मजबूत कर दी।-
तंज़, कसते थे लोग हम पे, हमने, किस..? नाचीज़ को,
अपने दिल से लगा लिया।
तो! हमने भी कह दिया,"काबिलों से तो, हर शक्स,
मोहब्बत़ करता हैं, हमने........!
अपनी मोहब्बत़ से, एक न काबिल को, औरों से बेहतर,
काबिल बना दिया।।-
ना अश्क़ से वाकिफ थे,
ना ही इश्क़ के काबिल हुए हैं...
फिर भी ऐ ग़म,
हम तेरी स्कूल में दाखिल हुए हैं...-
मुझे भूलने में कोई मुश्किल भी है क्या ?
तेरे सीने में दिल भी है क्या ?
रूठी तुम हो तेरे दोस्त मुझे डराने आते हैं।
वो तेरे दोस्त जालिम भी हैं क्या?
तेरा दूर होना मुझे साजिश सा लगता है!
तुम्हारे दोस्त उसमें शामिल भी है क्या?
और वो तेरे साथ किसी और का मिसालें दे रहा था
वो पहले से किसी और का कातिल भी है क्या?
वो नशे में था तेरी भी बुराई कर गया,
तुम्हारा चरित्र मलिन भी है क्या?
और तेरे दोस्त की वजह से मेरा होश ठिकाने आ गया,
अब तुझे क्या लगता है तू मेरे काबिल भी है क्या?-