सुनो!
नही हो पायी हरी- भरी सी....
रह गयी पीली अमरबेल सी....
आख़िर जड़ विहीन थी मै....
पीती रही उन कोशिकाओं का रस....
जिस दरख़्त पर पनपती रही...
होने को यूँ हरा- भरा.....
हर पल तुझपे अवलंबित रही...
आकर मै यूँ एक दरख़्त पर...
कुछ अमरबेल सी पलती रही....
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बगीचे के उन फूलों से दिल लगा बैठे थे
"कपिल"
जिन्हें केवल देख सकते हैं करीब नहीं जा सकते-
साथ गुजरी कितनी शामें,
भूल गए क्या,,
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में वही हूँ जिसे रूह बताते थे,
भूल गए क्या,,
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मेरे सिवा क्या-क्या भूलें हो ,
ये भी,भूल गए क्या,,
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अच्छा,ये बता कैसा है तू,,
कुछ पूछा है,ये भी भूल गए क्या,,
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तुझे याद है वो अनमोल बीते लम्हें,
क्या उन्हें भी ,भूल गए क्या,,
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कल जब में तेरी तस्वीरों को स्पर्श कर रहा था,
तो सवाल आया कि तुम मुझे भी,भूल गए क्या,
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मेरी मांग है की
कॉमेडी नाइट विथ कपिल का नाम बदल कर....🙄
कॉमेडी डे विथ चचा/मोदी कैबिनेट होना चाहिए ||
🤣
😊😊😊😊-
एक वजूद तुम्हारा भी,
तुम्हारे पास तो है।
औरों का साथ ना सही,
खुद का साथ तो है।
मायूस हैं कुछ चेहरे तुम्हें देखकर तो क्या हुआ
कुछ के चेहरों पर मुस्कान तो है।।
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जिंदगी प्यारा सफ़र है
कुछ लम्हें यादों में बदल जाते हैं
कुछ अंजान अपने बन जाते हैं
कमीने दोस्तों का खजाना है मेरे पास
मेरी इक आवाज में साथ खड़े हो जाते हैं
@unknownbeats143k-
कभी-कभी लफ्जों से बयाँ नहीं होते दिल के इरादे
सदमें से लिपट जाते है...-