सुनो मेरे कृष्ण कन्हैया
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तुम्हीं हो मेरे मन के साथी...
तुम्हें ज़िन्दगी ने अपना सारथी बना लिया है।
तुम्ही हो जिंदगी का सवेरा...
तुम्हें ही अपना सुरज बना लिया है।
जिंदगी के अंधेरे में हो मेरा फरिश्ता...
तुम्हें ही अपना तिमिर का उजाला बना लिया है।
ये हृदय जपता है तेरी ही माला...
तुम्हें ही संगीत का सरगम श्रृंगार बना लिया है।
लगा के मन में तेरी ही मूरत...
अपने तन को ही तेरी द्वारिका बना दिया है।
~~शिवानन्द-
कान्हा की मुरली पर तो, लाखों दिल हैं हारे,
गोपियाँ तो हर दम देखो कान्हा-कान्हा ही पुकारें,
मीरा तो हैं, कृष्ण दीवानी, कृष्ण को ही, सब कुछ माने,
रुक्मणि संग विहा हुआ है,पर पूजे राधा संग जावें,
हर मन प्रफुल्लित होकर एक ही गुण है गावें,
राधे-श्याम, राधे-श्याम, दिल को है छु जावें।।
By:Aastha Shukla91🖋️
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मैं जिस छलिए के प्रेम में राधा सी बावरी हो गई ...
वो मेरा कन्हैया सांवरा किसी और का दीवाना हो गया...-
तु रास रसावे सबको रिझावें....
व्याकुल तेरे दरस को ये बेचारी!
नटखट रंगीला तेरा हैं अंदाज....
कबसे हम तरस रहे देख छटा न्यारी।
रंग बरस रहें, लगा के अंग....
बरसानें में खेलें होली संग राधा प्यारी!
ना तड़पा तु हैं छबीला, जाने है सबकुछ
कुछ रंग इधर बरसा दूर कर अब तड़प हमारी।
मैं बेबस हूं, कन्हाई, मैं हूं लाचारी.....
देख जरा इधर तो कृष्ण मुरारी,मेरे बांके बिहारी!
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इक बात तुमसे पूछू .......बोलो जवाब दोगे....
ये हुस्न ये तबस्सुम सरकार क्या करोगे.....?-
मैं गुल हूं तुम गुलशन हो .....
अपनी बहारों में शामिल मुझे भी कर लो,
मैं मुंह मांगी कीमत दूंगी
तुम एक बार मुस्कुरा तो दो......!
तुमसे दूर होना नहीं चाहते ,
वरना इस शहर में बहारें तमाम है .......
अकेला है पर गुलदस्ते में फूल है,
तुमसे दिल्लगी क्या मेरी भूल है।
हजारों कलियां फूल बनने की कोशिश करती है रोज मुरझाती हैं ........!
फिर भी खिलती तमाम है .......
क्यों गुमान है प्यारे तुझे अपने हुस्न पर,
तुझे हुस्न वाला बनाया भी तो हमने हैं,
हम पर भी नजरे करम कर दो ।
जानती हूं इस जहां में तेरे आशिक तमाम है.......
मानती हूं कि दिल काला है मेरा ,
पर गोरा तू भी तो नहीं है ,
दिल के दाम खरीदेंगे तुझे
वरना बाजार में हुस्न बिकते तमाम है..........-
साँवले तन पे ग़ज़ब धज है बसंती शाल की
जी में है कह बैठिए अब जय कनहय्या लाल की-
आँखों में मेरे ख़्वाबों की बोरी
कानों में गूँजे बचपन की लोरी
मैया का अपने मैं भी कन्हैया
पीछे मेरे भी ब्रज की किशोरी
मैं भी करूँगा माखन की चोरी
बाँधेगी मुझको मैया भी मोरी
रूठूँगा फिर मैं मैया से तब तक
गर न मिले माखन की कटोरी
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नाम है कन्हैया, है बिन पहिया
डूब गई जब नईया,नहीं दिखा कहीं कन्हैया
डूबा पटना डूबा पूरा बिहार ,कहा था कन्हैया
बस देता है भाषण, उड़ाता है सब का मजाक
देशद्रोही है कन्हैया ,जहां मिले मारो इसको जूते चार
लगाता है नारा" भारत तेरे टुकड़े होंगे… इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह" ,
कसम अभी खाता हूं, नारा अभी देता हूं "कन्हैया तेरे टुकड़े होंगे… इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह" ।।
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"मेरे दिल कि दीवारों पर श्याम तेरी छबि है,
मेरे नैनों के दरवाजे पर कान्हा तेरी तसबीर है...
बस कुछ और ना मांगू तुझसे मेरे मुरलीधर,
तुझे हर पल देखूं मेरे कन्हैया ऐसी मेरी तकदीर हो...."-