QUOTES ON #उसूलों

#उसूलों quotes

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बहुत ही छाले थे उसके पैरो पर ...
कम्बख्त उसूलो पर चला होगा !!!

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3 MAR 2024 AT 18:00

उसूलों के लिए जीना इस जीवन में सबसे ज़्यादा आवश्यक होता हैं।
जो अपने उसूलों को अंत तक बनाए रखता है वहीं परिपक्व होता हैं।
"ज़िंदगी जीने की कला" में हमें की भी मिलावट नहीं करनी चाहिए।
जीवन जीने की गुणवत्ता में बढ़ोतरी हो, गिरावट नहीं करनी चाहिए।
जीवन एक तोहफ़ा है भगवान का एक बार जो मिला सदुपयोग करो।
सब कुछ अच्छा ही होता हैं क्योंकि उसकी मर्ज़ी है, न वियोग करो।
बेहतरीन है "ज़िंदगी का ये मेला", हर किरदार है यहाँ पर रंग-बिरंगे।
अपने किरदार को ईमानदारी से निभाना, मत करना कभी काम बेढ़ंगे।

अच्छा होना होगा तो आज नहीं तो कल हो जाएगा, तू उदास मत हो।
तेरी क़िस्मत में जो लिखा होगा तुझे मिल ही जाएगा, तू हताश मत हो।
अपनी काबिलियत पर पूरा यकीन कर और अपनी प्रतिभा को बढ़ा।
जो कमी है तुझमें उस पर काम कर और ज्ञान लगा दे जो भी तूने पढ़ा।
तेरी मंजिल तेरे इंतज़ार में है मुसाफ़िर, तू कुछ मत सुन, चलता जा।
आगे जो भी आती हैं मुश्किलें तू उनको पार कर के आगे बढ़ता जा।
अपनी कहानी का सूत्रधार तू ही है "अभि", अपने हिसाब से अंत लिख।
तेरी यह यात्रा जीवनोपरांत भी चलती रहेगी, सुन! तू इसे अनंत लिख।

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मिज़ाज-ए-मन"

मिज़ाज मेरे मन का कुछ समझ नहीं आता,
गर पूछुं भी कुछ इससे, तो ये कह नहीं पाता।।

हसरतें पाले है अपनी मर्ज़ी से जीने की ये,
पर मेरी मर्ज़ी के बिन कुछ कर नहीं पाता।।

मैंने उठाये रक्खा है इसकी ख़्वाहिशों के बोझ को,
मेरे ग़मों का बोझ क्यों ये सह नहीं पाता।।

बंदिशें लगा रखी हैं कितनी उसकी यादों पे मगर,
उसके ख़्यालों के बिना ये रह नहीं पाता।।

कस्ती हो उसूलों की तो बहने में मज़ा आये,
मगर मेरे उसूलों संग कभी ये बह नहीं पाता।।

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ज़ेहन में खूब खुद्दारी लिए
चले थे राह-ए-उसूलों पर,
पलट कर हमने जो देखा
नहीं था कोई हमराही।।

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21 MAR 2020 AT 7:55

बहुत छाले थे उसके पैरों में,
कमबख़्त उसूलों पर चला होगा..

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20 JAN 2021 AT 11:34

जींदगी अपने उसुलो पर जियो,
दूसरो के उसूलों पर जीने वाले गुलाम होते हैं..!!

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24 OCT 2023 AT 17:31

उसूलों पर जब आंच आए तो टकराना जरुरी हैं,कभी बधाइयां,तो कभी शिकायत भी जरूरी हैं।

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उसूलों पर एहसासों का हावी हो जाना,
बहुत बुरा होता है सपनों का मर जाना।

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19 OCT 2020 AT 14:43

अपनी माज़ी से सीखे उसूलों को भूला दिया
हुज़ूर ऐसी बुलन्दी पे गर पहूँचे तो क्या ख़ाक पहुँचे।
के फ़ना हो गए... ग़ुरूर जिसके दिल मे घर कर गया
हुज़ूर वो तख्तोताज़ पे बैठे तो क्या ख़ाक बैठे।

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12 MAY 2021 AT 7:21

ए जिन्दगी तेरे उसूलों का मैं मान रखता हूँ।
गम के दौर में भी चेहरे पे मुस्कान रखता हूँ।
हारे हुए मन से कभी भी बात नहीं करता -
वफा के नाम पर हथेली पे यूँ जान रखता हूँ।

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