QUOTES ON #उत्तराखंड_कुमाऊँ

#उत्तराखंड_कुमाऊँ quotes

Trending | Latest
24 JUL 2020 AT 17:11

उत्तराखंड की वादियां और तुम्हारा प्यार दोनों एक जैसे लगते हैं,
इनकी ख़ूबसूरती में, मैं अक्सर विलीन हो जाती हूँ।

-


20 MAY 2020 AT 14:23

तुम पेट फूलूंण में लागा,
हम पेट लुकुंण में लागाँ।८।

तुम समाजाक इज्जतदार,
हम समाजाक भेड़-गंवार।९।

तुम मरी लै ज्युने भया,
हम ज्युने लै मरिये रयाँ।१०।

तुम मुलुक कें मारण में छा,
हम मुलुक पर मरण में छाँ।११।

तुमुल मौक पा सुनुक महल बणैं दीं,
हमुल मौक पा गरधन चङै दीं।१२।

लोग कुनी एक्कै मैक च्याल छाँ,
तुम और हम,
अरे ! हम भारत मैक छा,
ओ साओ ! तुम कैक छा ?।१३।

-



मैं और मेरा यह पहाड़
**************

मैं और मेरा यह पहाड़
पर्वतों से पिघलता हुआ यह बर्फ
कहीं पर हिम वाली चोटी
कहीं पर गंगा को छूता हुआ हरिद्वार
गांव -गांव हैं सुशोभित
यहां हरियाली से
यह कोहरे से लिपटे हुए जंगल
यह रंग -बिरंगे पंछी यह झरने
यह आम, आरू, चीड़ पेड़ देवदार
मैं और मेरा यह पहाड़ ।

यहां निर्मित मिट्टी लकड़ी वाले घर
ऊचैं नीचे टेढ़े-मेढ़े खेत ,रास्ते
पल-पल बदलती हुई
ऋतुऐ की यहां बहार
यह हाथ को छूता हुआ सूरज
यह कानों में गूंजता हुआ -
पंछियों , हवाओं का संगीत
है सुशोभित जहां हिमालय
तेरा स्वर्ग मेरा स्वर्ग -
मैं और मेरा यह पहाड़ ।

यहां पंख फैलाते अंनगिनत पंछी
ऋतुऐ आए जहां बदल-बदल
यह रिम -झिम बारिश
यह ठिठुरते, कंपन वाली ठंड
यहां त्योहारों का लगा अंबार
यह मैघौ का -
फैला हुआ शफेद चादर
यह खैतो, पैडौ , में उडते -
किट , पतंगे , पंक्षी
यह हरै भरै -
खेत , फल -फूल ,घने जंगल ,
मैं और मेरा यह पहाड़ !!

कविता~ श्याम सिंह बिष्ट
डोटल गांव
उत्तराखंड
9990217616

-


27 JUL 2019 AT 18:56

बड़े थे कदम काम की तलाश में शहरों की तरफ,

आज आराम की तलाश में वापस पहाड़ों पर चाह के भी ना लौट पा रहे...

-


5 AUG 2020 AT 10:52

एक उम्मीद की किरण दिखी है भोर की तैयारी है...
रात बीत गई अब मेरे भी उदय होने की तैयारी है...
घनघोर अंधेरा छाया था जो, उसके अंत की बारी है
साथ छोड़ गई जो किस्मत, अब उसके साथ होने की बारी है

बहुत सर्द काली राते काटी हैं मैने, अब धूप सेकने की तैयारी है
अब आ गया है वो मौका, अब दुनिया पे छाने की तैयारी है

-


14 JUN 2021 AT 13:07

हम पहाड़ी हैं साहब
गाँव भले ही कम जा पाएं...
मगर साथ ले आते हैं
अपने हिस्से का पहाड़
पोटलियों में बांधकर।

-


4 MAY 2018 AT 16:08

दरकते पहाड़
सूने मकान

-


7 AUG 2020 AT 15:57

हार जाने में भी जीत लगती है
तू साथ हो तो जिंदगी भी गीत लगती है

हर सुबह सुहानी.. शाम हसीन लगती है
दिन मदमस्त.........रातें रंगीन लगती हैं

बस यूं ही तेरे साथ हसते गुनगुनाते कट जाए हर लम्हा
तू मेरे पास हो तो कोई भी मुश्किल लजीज लगती है

-


5 OCT 2017 AT 8:51

हिमालय मेरी जन्मभूमि
हिमालय मेरी कर्मभूमि
हिमालय मेरी आत्मा
हिमालय ही मेरी सांस

-



शहर के अनावश्यक शोर शराबे के बाद जब शांत पहाड़ की वादियों में सुबह के समय पक्षियों गाड़ गधेरों और झरनों का जो मधुर संगीत सुनाई देता है वो दिल के तार तो छेड़ता ही है और साथ ही बादलों के आगोश में लिप्त पहाड़ियां भी आपके स्वागत को आतुर रहती है।
इस स्वर्ग को #देवभूमि_उत्तराखंड कहा जाता है!

-