जी हम तो चल दिए इस राह पर
तुम आओ तो सही
जी हम तो दिल हार चुके
तुम ठीक से समझो तो सही
मील के पत्थर तो बहुत से आयेंगे
रास्तों पे मोड़ भी बहुत आयेंगे
जी हम तो तेरे गांव का पत्थर ढूंढ रहे हैं
किसी मोड़ पे मिलो तो सही
जी हम तो बस आ ही चुके
तुम मिलों तो सही-
Lyricsist by ❤️❤️❤️❤️❤️❤️
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हां, अब तो तुझे बस सुकून ही सुकून होगा
मैं न सही! पर कोई न कोई तो जरूर होगा
चलो मान लिया, बेइंतहा प्यार कर ही न पाए तुझसे
पर बेवफा तो ना थे, जब तक थे, बस..... तेरे थे
कुछ नहीं, बहुत कुछ कमी थी मेरे प्यार में जानेजा
बस एक ही गलती कर बैठे, बेइंतेहा यकीन कर बैठे
यूं तो , तेरी मुस्कुराहटों में बनावटें भी होंगी कई सारी
चलो अब खुश ना सही! पर मेरे नाकाम इश्क से दूर तो होगे
खैर! तेरी तरह मैंने भी कई राज दफ़न कर ही दिए हैं आखिरकार
एक तू ही तो बैगैरत नहीं! हम भी हर रोज लाख कोशिशें कर ही रहे हैं।-
उम्मीद तो नहीं है मुझे, तुझसे फिर से मिल पाने की
तो अक्सर चांद से ही तेरा हालचाल पूछ लिया करते हैं-
एक लम्हे की जिन्दगी हो चाहे! बस ये जिन्दगी ना कटे तन्हा
इश्क हो. तो बेइंतहा हो ! पूरी जिन्दगी बन जायेगा वो लम्हा-
कैसे मैं खुद से जुदा हो गया, पता नहीं
क्यूं मैं खुद ही से छुपता रहा, पता नहीं
आईने में रोज देखता रहा जिसे सालों साल
कब एक अनजान अक्स बन गया, पता नहीं
शुरुवात में तो सब पे ऐतबार था शायद
यकीन कैसे उथल पुथल हो गया, पता नहीं
किसी ने मुझसे मेरे सपने छीनें, नहीं तो
जो राह चुनी थी खुद चुनी थी, पता नहीं
जो मेरे अफसार में हमसाये बने थे कभी
कब मेरी राह का रोड़ा बन गए, पता नहीं
होश आया! बे कस हुवा तो, यकीनन हां
अब आगे तन्हा सफर जारी रहेगा, पता नहीं-
अक्खड़ बंजारा सा फिरता रहता है ये दिल
कहीं पुचकारा कहीं दुत्कारा जाता है ये दिल
कोई इस भटकते पंछी को कैद ही कर लो
अजी तुम ही बुला लो... दिल में बसा लो-
कोई गिला नहीं मुझे मेरे गुजरे हुए हर बुरे वक्त से
इसने तो मुझे बस डट कर खड़े रहना सिखाया है
मेरी चोटों ने भी मुझे तराश दिया है यकीनन
मेरे ज़ख्मों ने मुझे हौसला दिया है ग़ालिबन
कुछ बेजार लम्हों ने समझ बढ़ाई है मेरी,और
हर इक शक्श ने तजुर्बा दिया है मुझे, इसलिए
अब तो कड़ी धूप में भी मै सुकून रखता हूं
और ठंडी घनी छांव में भी मै शरर रखता हूं-
अपना क्या है....!
सब कुछ तो यहां कुदरत की देन है
पर देखो ना सबको खामखां वहम है
जरा खुद से नजर हटा के तो देख
हम सब बस एक तिनका ही तो है
अपना क्या है....।
सबको कुदरत ने एक समान देखा है
तो क्यों ये खुदगर्जी ढोते फिरता है
कुदरत ने तो भरके झोली में दिया है
तो क्यों उसे खुद में समेटे बैठा है
अपना क्या है....!-
अनजान राहें खुशनुमा सफर
दिलकश चेहरे बेखबर वक्त
कुछ अनसुने से किस्से
और अपना सूफियाना सा मन
बस साथ मै और मेरा आवारापन
बड़ा सुकून देता है ये बंजारापन-