उसकी लेखनी पर
उन्होंने की टिप्पणी-
'आये हाय"
सोच में पड़ गयी वो
शब्द की कमी थी
या निपटने का तरीका।-
मेरी ख्वाहिशों का पर्याय था तू...
जलते थे जिससे लोग मुझसे, मेरी वो आय था तू।।-
"प्यार मैं कभी तौल कर नहीं करता
फिर तुम मेरी आय क्यों तौलते हो"-
ख्वाहिशें तो बहुत हैं, पूरा कैसे करू,
हार जाते है, थक जाते है।
ऐ ख़ुदा! तेरी ही एक शक्ति है मुझमें,
समझ में नहीं आए कि कहा से शुरुआत करू।-
जितनी भीहो आय तुम्हारी,थोड़ीतो कुछ बचत करो
काम तो होते सभी जरूरी, सोच समझकर खर्च करो बचत की होती जिसकीआदत,काम नहींकोई रूकताहै वक्त जरूरत किसीके आगे,सिर उसका नहीं झुकताहै कुछभी हो पर बचत जरूरी,अल्पबचत हर माह करो जिसने भी धन बचाके रखा,उसको मुश्किल नहींआती बुरे वक्त में हिम्मत देता,तब धन बनता सच्चा साथी संकटघड़ियां साथ निभाए,धन की थोड़ी हिफाज़तकरो मान,शान है झूठा दिखावा ,जीवन जी लो सीधा-साधा खर्चो मत आवक से ज्यादा,कुछतो रखो निज मर्यादा मति बघारो झूठी शेखी, कुछ भी हो पर बचत करो
सोच समझकर खर्च करो.......-
जितने अधिक कानून हमारे
उतना ही कम न्याय
जितने अधिक सीए हमारे
उतनी ही कम दर्शाते आय
CA- Chartered accountant's
-
नींद भी क्या गजब चीज है
आय तो सब कुछ भुला देती है,
और न आय तो
सब कुछ याद दिला देती है।-