आपाधापी शहर की
यह सहर कैसी?
अंधाधुंध दोहन....
हरित प्रकृति का
वहीं कोमल हृदय दूब की
आहत भावना...
विकृत आकृति सा
एक वाचाल बालक
मौन संवाद करता
आधुनिक साधनों से,,,
अपने से सुदूर निकलता
न माँ का अंक,न पिता का पंथ
एक कल्पित यात्रा की ओर
गंतव्य रहित न ठौर.....न छोर
कैसी व्यथित ताप...की भोर??
झुलसने का निशां
अनदेखा घनघोर!!
10.9.2020
(रचना नीचे से ऊपर पढ़ें)
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यह कैसी आपाधापी है, मैंने लोगों को चलते रास्ते में अक्सर अकेले ही मुस्कराते देखा है।
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जीवन की आपाधापी में मुरझा न जाये
कुछ ख्याल रखो खुद का
सबका ध्यान रखते-रखते
बदलते मौसम में झुलसा न जाये
ध्यान रखो इस तन मन का
ध्यान धरो इस जीवन का...-
जिंदगी की आपाधापी में
आगे निकलने की होड़ में
हम जीत गए
बस मुरझा गया
पर्याप्त प्रेम के अभाव में
कोमल सा हमारे प्यार का पौधा
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बोल बोल कर थक गई ज़ुबान
लफ़्ज़ सभी ख़ामोश हुए,,
जज्बातों की आपाधापी में
एहसास थक कर चूर हुए
समझ न आई जब लबों की भाषा
मौन की ओर फिर रुख किया,,
मैं सही और तू गलत ने
समझौतों से तार्रुफ़(परिचय)किया!!
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लाखों 'मुश्किलें' है जीने के लिए जिंदगी में ..!
यहाँ मौत भी कहां 'सस्ते' में मिलती है जिंदगी में ..!
'खुशी - गम' से भरी पडी है जिंदगी...!
धूप - छांव देकर 'सहलाती' है जिंदगी....!
कदम - कदम दर्द देकर 'आजमाती' है जिंदगी...!
मरहम के बदले 'नमक छिडक' जाती है जिंदगी..!
काश ! समय रहते पहचान गये होते ये जिंदगी....!
'दून्यवी झमेले' में इस कदर ना फँसी होती जिंदगी..!!-
समझ में नहीं आता है कि
दो वक्त की रोटी महंगी है या दो पल
का सुकून.-
इतनी लंबी नही है ज़िन्दगी
जितनी तुम समझ रहे हो,
ये भाग दौड़ की आपाधापी में
ख्वामख्वाह ही क्यूँ उलझ रहे हो,
सुकून से बैठा है वो
अपनी छोटी सी दुकान पर
तुम यूँ ही उसे बेरोज़गार समझ रहे हो....-
सुना है दुनिया की
इस आपाधापी में
लोग कहीं भागे जा रहे हैं,
और मैं खड़ा निहारता
मार्ग के एक ओर
राह देता उन सभी को
जो दुनिया की इस आपाधापी में
पता नही कहाँ
भागे जा रहे हैं...-
खुद को बनाते बनाते ,खुद ही गुम हो गए
जीवन की ढेरों खुशियों से,महरूम हो गए.....
जीवन की आपाधापी में ,इस तरहाँ मशगूल हुए
खुद को खोकर, हम तो खुद ही, हुजूम हो गए .....
.उस ने कितने जुल्म हैं ढाऐ, बात कोई यह मत पूछो
पाक साफ खुद को कहते हैं, अब इतने मासूम हो गए... पहले तो अक्सर ही वो, आते जाते दिखते थे
कई दिनों से देखा नहीं है,लगता है मरहूम हो गए.... पहले तो वह छोटा-मोटा, धंधा भी कर लेता था
किस्मत बदली अपनेसे,अबतो खुदही मखदूम हो गए..
खुदको को बनाते बनाते.......-