"तुम आंदोलन नही करते?"
"जी नही में औरत हूं"-
8 JUN 2017 AT 9:43
दिल में शोर-सा उमड़ पड़ा है
धड़कनों में तुम्हारी वापसी का आन्दोलन अब भी जारी है ..-
8 FEB 2021 AT 13:02
मंज़र
आग लगी है तो धुआँ ज़रूर होगा
उधर कुछ न कुछ हुआ ज़रूर होगा
उनकी आंखें ख़ून की प्यासी लगती हैं
जलने वालों के घर कुआँ ज़रूर होगा
तुम किसी के इश्क़ में बीमार लगते हो
किसी ने अपनी बातों से छुआ ज़रूर होगा
मोहब्बत में गारंटी-वारंटी नहीं चलती
इश्क़ में उतरोगे तो जुआ ज़रूर होगा
ख़त्म हो गया पल में बरसों का था जो कुछ
उसके दिमाग में शक़-ओ-शुबा ज़रूर होगा-
22 DEC 2019 AT 14:36
आंदोलन व प्रदर्शन
संवैधानिक
अधिकार है,
मगर चेहरा
छिपा कर नहीं।
नकाबपोशों को दूर रखें।
संदिग्ध व दोषी होने से बचें।
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