कितना मुश्किल होता है क़रीब के रिश्तों को दूर से निभाना -
कितना मुश्किल होता है क़रीब के रिश्तों को दूर से निभाना
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Fireदूर से ही देखूँगा और छू जाऊँगामैं पास आया तो जला जाऊँगा मुझसे मिलने पर रिआयत मत करना मैं तुम्हारी सारी गर्मी पिघला जाऊँगा मुझको आदत नहीं मोहब्बत कीवो मिल गयी तो पगला जाऊँगा मैं जो सोचता हूँ बात वही होती हैज़माने को एक दिन ये दिखला जाऊँगा मेरे तजुर्बे की नहीं तू अपनी बात करखेल जैसा भी हो सिखला जाऊँगा -
Fireदूर से ही देखूँगा और छू जाऊँगामैं पास आया तो जला जाऊँगा मुझसे मिलने पर रिआयत मत करना मैं तुम्हारी सारी गर्मी पिघला जाऊँगा मुझको आदत नहीं मोहब्बत कीवो मिल गयी तो पगला जाऊँगा मैं जो सोचता हूँ बात वही होती हैज़माने को एक दिन ये दिखला जाऊँगा मेरे तजुर्बे की नहीं तू अपनी बात करखेल जैसा भी हो सिखला जाऊँगा
भले जितना ख़ून जलेकहीं तो सुकून मिले -
भले जितना ख़ून जलेकहीं तो सुकून मिले
पता नहीं अब कहाँ मुलाक़ात होगीजहाँ भी बैठेंगे तेरी ही बात होगीचलते रहेंगे सोचकर की जाना है बहोत दूरआयेगी जहाँ मंज़िल फिर वहीं रात होगीवैसे तो होगा नहीं लेकिन फिर भी हो गया तोतेरे ख़त का आना भी एक करामात होगीज़ाहिर है मेरे नाम से मुकद्दर अपनासल्तनत कम पड़ जाये ये और बात होगीमुझको बुझा सके ये हवाओं के बस नहींमेरी वजह से रोशन ये क़ायनात होगी -
पता नहीं अब कहाँ मुलाक़ात होगीजहाँ भी बैठेंगे तेरी ही बात होगीचलते रहेंगे सोचकर की जाना है बहोत दूरआयेगी जहाँ मंज़िल फिर वहीं रात होगीवैसे तो होगा नहीं लेकिन फिर भी हो गया तोतेरे ख़त का आना भी एक करामात होगीज़ाहिर है मेरे नाम से मुकद्दर अपनासल्तनत कम पड़ जाये ये और बात होगीमुझको बुझा सके ये हवाओं के बस नहींमेरी वजह से रोशन ये क़ायनात होगी
सड़क छाप सुना है याद करती है हमारी बात करती हैवही पहले जो हमको देख आंखें फेर जाती थी मैं जब भी बात करता था वो कितने भाव खाती थीवही लड़की जो अब मेरी तलब में दिल जलाती है दो-दो शक्ल रखती है नज़र की तेज़ लगती हैवो मेरी साफ़ बातों को जो झूठा बोल जाती थी मुझे कुछ बात कहने में जो घंटों वक़्त लेती थीये आलम है कि अब मेरे लिये वो गज़लें-गीत गाती है इधर मैं था जो उसको ढूंढता था एक बहाने सेउधर वो थी जो मेरे नाम से भी दूर जाती थी ख़ुदा भी देख बाज़ी खेल की कैसे पलटता हैवो अपने घर बुलाती है जो पहले मुँह बनाती थी -
सड़क छाप सुना है याद करती है हमारी बात करती हैवही पहले जो हमको देख आंखें फेर जाती थी मैं जब भी बात करता था वो कितने भाव खाती थीवही लड़की जो अब मेरी तलब में दिल जलाती है दो-दो शक्ल रखती है नज़र की तेज़ लगती हैवो मेरी साफ़ बातों को जो झूठा बोल जाती थी मुझे कुछ बात कहने में जो घंटों वक़्त लेती थीये आलम है कि अब मेरे लिये वो गज़लें-गीत गाती है इधर मैं था जो उसको ढूंढता था एक बहाने सेउधर वो थी जो मेरे नाम से भी दूर जाती थी ख़ुदा भी देख बाज़ी खेल की कैसे पलटता हैवो अपने घर बुलाती है जो पहले मुँह बनाती थी
मुझमें भीगे और अपनी बाहों में भर जाये मुझेमैं भी बारिश हूँ कोई हल्के से छू जाये मुझे अगर कोई उतरेगा मुझमें तो डूब जायेगाकोई कागज़ की कश्ती न आज़माये मुझे मैं ठहरे हुए दरिया के सब अन्दाज़ बदल दूँज़िद पे आ जाऊं तो समंदर भी गले लगाये मुझे मेरी आदत है मैं लोगों के हिसाब से ढल जाता हूँवो भी मेरी तरह पानी है तो दिखलाये मुझे मेरे मुक़द्दर में नहीं किसी एक छत पर बरसनामुझे बाँधना मुश्किल है कोई समझाये उसे उसकी आँखों के पानी को पी जाऊँगावो अपनी आँखों में भर पी जाये मुझे -
मुझमें भीगे और अपनी बाहों में भर जाये मुझेमैं भी बारिश हूँ कोई हल्के से छू जाये मुझे अगर कोई उतरेगा मुझमें तो डूब जायेगाकोई कागज़ की कश्ती न आज़माये मुझे मैं ठहरे हुए दरिया के सब अन्दाज़ बदल दूँज़िद पे आ जाऊं तो समंदर भी गले लगाये मुझे मेरी आदत है मैं लोगों के हिसाब से ढल जाता हूँवो भी मेरी तरह पानी है तो दिखलाये मुझे मेरे मुक़द्दर में नहीं किसी एक छत पर बरसनामुझे बाँधना मुश्किल है कोई समझाये उसे उसकी आँखों के पानी को पी जाऊँगावो अपनी आँखों में भर पी जाये मुझे
मुद्दतें हुईं ज़ुबां पे अब तक उसका नाम नहीं आयाजाने कैसा रिश्ता था उसका भी सलाम नहीं आया ताल्लुक़ात तो सब से ठीक-ठाक ही हैं अपनेएक अरसे से कोई मगर हमारे काम नहीं आया जिस क़ीमत पे मैं ख़रीद लेता मोहब्बत सारीदुकानें बढ़ गयीं लेकिन ऐसा दाम नहीं आया वो जिस महफ़िल में जाता था लोग सुनते रहते थेऊब चुका था वो आज उसका क़लाम नहीं आया अकेले में मिलता था तो बहोत बातें करता थावही जो दुनिया के डर से सरेआम नहीं आया -
मुद्दतें हुईं ज़ुबां पे अब तक उसका नाम नहीं आयाजाने कैसा रिश्ता था उसका भी सलाम नहीं आया ताल्लुक़ात तो सब से ठीक-ठाक ही हैं अपनेएक अरसे से कोई मगर हमारे काम नहीं आया जिस क़ीमत पे मैं ख़रीद लेता मोहब्बत सारीदुकानें बढ़ गयीं लेकिन ऐसा दाम नहीं आया वो जिस महफ़िल में जाता था लोग सुनते रहते थेऊब चुका था वो आज उसका क़लाम नहीं आया अकेले में मिलता था तो बहोत बातें करता थावही जो दुनिया के डर से सरेआम नहीं आया
हाथ आयेगा पर मुँह को लगेगा नहीं ऐसे तो ये रिश्ता हमारा बचेगा नहीं बात-बात पर डराना, धमकाना, क़त्ल करनाये ऋषी-मुनियों का देश है साहिब ऐसे चलेगा नहीं तुम चाल पे चाल चलो और हम माफ़ पे माफ़ करेंऔरंगज़ेब का बाप है वो ऐसा करेगा नहीं हम तुम्हें प्यार से कबाब और सेंवईँ परोसेंतुम पानी में भी थूक जाओ ऐसा जमेगा नहीं मस'ला ये हिन्दू-मुस्लिम से और आगे का हैजब तक एक भी क़ाफ़िर ज़िंदा है तब तक टलेगा नहीं -
हाथ आयेगा पर मुँह को लगेगा नहीं ऐसे तो ये रिश्ता हमारा बचेगा नहीं बात-बात पर डराना, धमकाना, क़त्ल करनाये ऋषी-मुनियों का देश है साहिब ऐसे चलेगा नहीं तुम चाल पे चाल चलो और हम माफ़ पे माफ़ करेंऔरंगज़ेब का बाप है वो ऐसा करेगा नहीं हम तुम्हें प्यार से कबाब और सेंवईँ परोसेंतुम पानी में भी थूक जाओ ऐसा जमेगा नहीं मस'ला ये हिन्दू-मुस्लिम से और आगे का हैजब तक एक भी क़ाफ़िर ज़िंदा है तब तक टलेगा नहीं
परत दर परत तर-बतर उतरेगीतेरी हक़ीक़त इस क़दर उतरेगी -
परत दर परत तर-बतर उतरेगीतेरी हक़ीक़त इस क़दर उतरेगी
युद्ध मेरे बाहर -
युद्ध मेरे बाहर