असामाजिक   (असामाजिक)
892 Followers · 17 Following

एक ही ज़िंदगी में ये सब करना है
जीना है, मरना है, नाम करना है
Joined 18 September 2017


एक ही ज़िंदगी में ये सब करना है
जीना है, मरना है, नाम करना है
Joined 18 September 2017
26 JUN 2022 AT 22:49

कितना मुश्किल होता है क़रीब के रिश्तों को दूर से निभाना

-


7 JUN 2022 AT 1:30

Fire

दूर से ही देखूँगा और छू जाऊँगा
मैं पास आया तो जला जाऊँगा

मुझसे मिलने पर रिआयत मत करना
मैं तुम्हारी सारी गर्मी पिघला जाऊँगा

मुझको आदत नहीं मोहब्बत की
वो मिल गयी तो पगला जाऊँगा

मैं जो सोचता हूँ बात वही होती है
ज़माने को एक दिन ये दिखला जाऊँगा

मेरे तजुर्बे की नहीं तू अपनी बात कर
खेल जैसा भी हो सिखला जाऊँगा

-


7 JUN 2022 AT 1:13

भले जितना ख़ून जले
कहीं तो सुकून मिले

-


3 JUN 2022 AT 22:01

पता नहीं अब कहाँ मुलाक़ात होगी
जहाँ भी बैठेंगे तेरी ही बात होगी

चलते रहेंगे सोचकर की जाना है बहोत दूर
आयेगी जहाँ मंज़िल फिर वहीं रात होगी

वैसे तो होगा नहीं लेकिन फिर भी हो गया तो
तेरे ख़त का आना भी एक करामात होगी

ज़ाहिर है मेरे नाम से मुकद्दर अपना
सल्तनत कम पड़ जाये ये और बात होगी

मुझको बुझा सके ये हवाओं के बस नहीं
मेरी वजह से रोशन ये क़ायनात होगी

-


31 MAY 2022 AT 21:09

सड़क छाप

सुना है याद करती है हमारी बात करती है
वही पहले जो हमको देख आंखें फेर जाती थी

मैं जब भी बात करता था वो कितने भाव खाती थी
वही लड़की जो अब मेरी तलब में दिल जलाती है

दो-दो शक्ल रखती है नज़र की तेज़ लगती है
वो मेरी साफ़ बातों को जो झूठा बोल जाती थी

मुझे कुछ बात कहने में जो घंटों वक़्त लेती थी
ये आलम है कि अब मेरे लिये वो गज़लें-गीत गाती है

इधर मैं था जो उसको ढूंढता था एक बहाने से
उधर वो थी जो मेरे नाम से भी दूर जाती थी

ख़ुदा भी देख बाज़ी खेल की कैसे पलटता है
वो अपने घर बुलाती है जो पहले मुँह बनाती थी

-


24 MAY 2022 AT 2:50

मुझमें भीगे और अपनी बाहों में भर जाये मुझे
मैं भी बारिश हूँ कोई हल्के से छू जाये मुझे

अगर कोई उतरेगा मुझमें तो डूब जायेगा
कोई कागज़ की कश्ती न आज़माये मुझे

मैं ठहरे हुए दरिया के सब अन्दाज़ बदल दूँ
ज़िद पे आ जाऊं तो समंदर भी गले लगाये मुझे

मेरी आदत है मैं लोगों के हिसाब से ढल जाता हूँ
वो भी मेरी तरह पानी है तो दिखलाये मुझे

मेरे मुक़द्दर में नहीं किसी एक छत पर बरसना
मुझे बाँधना मुश्किल है कोई समझाये उसे

उसकी आँखों के पानी को पी जाऊँगा
वो अपनी आँखों में भर पी जाये मुझे

-


24 MAY 2022 AT 0:18

मुद्दतें हुईं ज़ुबां पे अब तक उसका नाम नहीं आया
जाने कैसा रिश्ता था उसका भी सलाम नहीं आया

ताल्लुक़ात तो सब से ठीक-ठाक ही हैं अपने
एक अरसे से कोई मगर हमारे काम नहीं आया

जिस क़ीमत पे मैं ख़रीद लेता मोहब्बत सारी
दुकानें बढ़ गयीं लेकिन ऐसा दाम नहीं आया

वो जिस महफ़िल में जाता था लोग सुनते रहते थे
ऊब चुका था वो आज उसका क़लाम नहीं आया

अकेले में मिलता था तो बहोत बातें करता था
वही जो दुनिया के डर से सरेआम नहीं आया

-


18 MAY 2022 AT 14:05

हाथ आयेगा पर मुँह को लगेगा नहीं
ऐसे तो ये रिश्ता हमारा बचेगा नहीं

बात-बात पर डराना, धमकाना, क़त्ल करना
ये ऋषी-मुनियों का देश है साहिब ऐसे चलेगा नहीं

तुम चाल पे चाल चलो और हम माफ़ पे माफ़ करें
औरंगज़ेब का बाप है वो ऐसा करेगा नहीं

हम तुम्हें प्यार से कबाब और सेंवईँ परोसें
तुम पानी में भी थूक जाओ ऐसा जमेगा नहीं

मस'ला ये हिन्दू-मुस्लिम से और आगे का है
जब तक एक भी क़ाफ़िर ज़िंदा है तब तक टलेगा नहीं

-


17 MAY 2022 AT 9:58

परत दर परत तर-बतर उतरेगी
तेरी हक़ीक़त इस क़दर उतरेगी

-


16 MAY 2022 AT 13:54

युद्ध मेरे बाहर

-


Fetching असामाजिक Quotes