असामाजिक   (असामाजिक)
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एक ही ज़िंदगी में ये सब करना है
जीना है, मरना है, नाम करना है
Joined 18 September 2017


एक ही ज़िंदगी में ये सब करना है
जीना है, मरना है, नाम करना है
Joined 18 September 2017
25 JUN 2024 AT 16:13

In a world full of nightmares, be someone's daydream.

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25 JUN 2024 AT 12:52

आवाज़ देने से भी रुकता नहीं,
चाल अपनी ये बदलता नहीं,
इन्सान ठहर जाते हैं किसी की याद में
वक़्त ठहरता नहीं

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25 JUN 2024 AT 12:42

Which is given by the same person who receives it

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11 JUN 2024 AT 22:00

रौशनी दिल में बहुत है अन्धेरे सारे मिट जायेंगे
तुम आगे बढ़ो तो सही रास्ते सारे दिख जायेंगे

हमें खरीदने निकले हैं हमारे ही दोस्त पुराने
इन्हें कह दो ये घर पहुँचने से पहले बिक जायेंगे

लोग यहाँ के बुज़दिल हैं इन्हें मारना मत
तुम्हारी दहाड़ सुनते ही डर के छिप जायेंगे

मैं ऐसा तो नहीं लिखता कि दुनिया को याद रहे
हाँ मगर तुम्हें याद रहेगा कुछ ऐसा लिख जायेंगे

मेरी बात मानों अभी भी वक़्त है बेंच दो इन्हें
अगली दीवाली तक नहीं तो ये खत फिक जायेंगे

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11 JUN 2024 AT 21:37

Love doesn't liberates!

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11 JUN 2024 AT 15:37

you are enough.

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10 JUN 2024 AT 17:36

कभी-कभी लगता है कि
ये जो सब कुछ यहाँ चल रहा है
ये जो कुछ भी है जैसे कि...
ये भागम-भाग, ये छीना-झपटी
ये काना-फूसी, ये उठा-पटकी
ये सब कुछ छोड़-छाड़ के
कहीं चला जाऊँ!
इस महानगर का जो भी है
सारा कुछ इसी को दे-दा के
सारा कुछ यहीं पटक के
बस कहीं चला जाऊँ!
किसी छोटे से गाँव में
जहाँ मुझे कोई जानता न हो
न ही मेरी पहचान का कोई निकले
ऐसी किसी छोटी और नई सी जगह में
एक छोटा सा कमरा किराये पर लूँ
और वहीं के किसी छोटे से स्कूल में
एक छोटी सी नौकरी कर के
इस छोटी सी ज़िंदगी को
सुकून से जियूँ!

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10 JUN 2024 AT 16:00

समय है, ऐसा हमें लगता है
समय नहीं है, और ऐसा है

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26 JUN 2022 AT 22:49

कितना मुश्किल होता है क़रीब के रिश्तों को दूर से निभाना

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7 JUN 2022 AT 1:30

Fire

दूर से ही देखूँगा और छू जाऊँगा
मैं पास आया तो जला जाऊँगा

मुझसे मिलने पर रिआयत मत करना
मैं तुम्हारी सारी गर्मी पिघला जाऊँगा

मुझको आदत नहीं मोहब्बत की
वो मिल गयी तो पगला जाऊँगा

मैं जो सोचता हूँ बात वही होती है
ज़माने को एक दिन ये दिखला जाऊँगा

मेरे तजुर्बे की नहीं तू अपनी बात कर
खेल जैसा भी हो सिखला जाऊँगा

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