गुम है, अंधेरे में हटा जबसे पर्दा उजाले का। क्या पता अब मुझे मेरे साहिल का।। पता अब मुझे जान ऐ हासिल का। ना छोड़ा उसने जालिम किसी काबिल का।। जाना जबसे हाल ऐ कातिल का। ना रहा होश अब जान ऐ हासिल का।।
जियू या ना जियूं, रहूं या ना रहूं। चाहूं या ना चाहूं, मांगू या ना मांगू।। पालू या ना पाऊं, भागू या ना भागू। मुद्दत ए मुसाफिर, चाहा क्या है पाया क्या है।।