ख़्यालों को दो आज़ादी
पनाहों में सबक रखना
कल क्या हुआ मत सोचो
रूख आगे की तरफ़ रखना-
तुम नहीं समझोगे
ये हम जानते हैं
हम नहीं समझेंगे
ये तुम जानते हो
आख़िर दोनों जान ही गए
और मान भी गए
कोई किसीको नहीं समझ सकता!-
जाने क्यूँ तेरी दहलीज़ पर आकर
दिल ए नादान ठहर जाता है...
हम दस्तक देते रह जाते है
तू दूर दूर तक नज़र नहीं आता है!-
आपल्या वाट्याला जे जे कर्म येतं ना
ते ते कर्तव्यनिष्ठेने करत जावं..
जरी आपल्या वाट्याला शुन्य आलं..
तरी वाईट वाटून घेऊ नये...
कारण...या जगात काहीच आपलं नाही
आपण खूप काही मिळवलं तरीही..
जाताना सोबत काय नेणार आहे?
बरोबर ना!
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दिल झंझोड़कर रख जाती है छोटी सी इक बात
चूभन काँटों सी बन जाती है छोटी सी इक बात
सुलझे सुलझे रहते हैं, कुछ रिश्तें जैसे रेशम से
गाँठ के जैसी अड़ जाती है छोटी सी इक बात
लफ्ज़ों को भी हैरत होती छुप जाते ख़ामोशी में
जब दिल को खल जाती है छोटी सी इक बात
हो जाते आज़ाद यूँ ही बेहीसाब अश्क़ आँखों से
दिल में जो घर कर जाती है छोटी सी इक बात
आए जो भूलाने पर भूल जाते हैं ख़ुद को भी
क्यूँ याद ताउम्र रह जाती है छोटी सी इक बात?
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बैखौफ नज़रों में, छुपी हुई कुछ तो कहानी होगी
शिकायतें, आँसू, हसरतें, उम्मीद सब कुछ नदारद है!-
खुद की पहचान के लिए
खुद में खुद को ढूंढना होगा
खुद से ही लड़कर
खुद से आगे निकलना होगा-
कोई बात नहीं ऐ दोस्त...
तेरे वक़्त का एक कतरा भी
मेरे हिस्से न आया तो
शुक्रगुज़ार ही हूँ वक़्त ने
तुझ से मुझे मिलाया जो...
कोई बात नहीं ऐ दोस्त..
दोस्ती को नापने का अगर
कोई खास पैमाना नहीं..
क्यूँकि दोस्ती तो दोस्ती होती है
होता कोई दिखावा नहीं...-
जब अंधेरा घना हो तब
प्रकाशित होता है अंतर्मन..
बड़ा ही स्पष्ट दिखाई देता है
जीवन का यह दर्पण..
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न ढूंढो हमें उदासी में हमें मुस्कुराना आ गया है...
ज़िन्दगी की हर तपिश से दिल लगाना आ गया है..
हम उम्मीद में जीते थे कोई और वो जमाना था
बेवजह की ठोकर से दामन छूडाना आ गया है..
रंग कईं है इस दूनिया के हम थक जाते गिनते तो
आख़िर बेरंग पानी सा ख़ुद को बहाना आ गया है..
ख़्यालों में मसरूफ़ नहीं और न हीं मगरूर हूँ मैं
देर से सही हक़ीक़त से कदम मिलाना आ गया है!-