सभ्य से असभ्य और श्लील से अश्लील होने की राह बस आवश्यकताओं के पुल भर है.
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14 APR 2020 AT 14:47
8 MAR 2019 AT 6:33
आईने के सामने आकर स्त्री भी
पुरुष बन जाती है।
निहारती है स्वयं को ऐसे
जैसे कोई असभ्य पुरुष निहारता है।-
2 MAR 2021 AT 20:58
मुझे कैद करने ख़ातिर सय्याद होना चाहता है जो
शायद भूल गया है कि खुद हद दर्ज़े का वहशी है वो-
3 MAR 2021 AT 10:56
क्यों हवा फैलाते हो झूठ ही सज़ा दिलाने की, वो
कानून के दाँव-पेंच दिखाकर फिर से छूट ले गया-
2 MAR 2021 AT 17:58
Naa aisa kuch kahaa meny
K tm rastaa badal lety
Magar phir b murawat ny tera rastaa badal dala-
24 MAR 2022 AT 5:31
सभ्यताएँ नष्ट ही हुई हैं,
बची हैं तो केवल असभ्यताएँ;
बचे रहना हो तो
असभ्य बनना होगा।-
15 AUG 2021 AT 22:41
बच्चों को काबिल बनते सब देखना चाहते है
क्या बच्चों के लिए वक्त निकाल आप उन्हें उनका बचपन दे पा रहे है...??-