QUOTES ON #अविनाशी

#अविनाशी quotes

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अनन्त अखंड अमर अविनाशी ।
कष्ट हरण हे शम्भू कैलाशी ।।

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11 OCT 2018 AT 12:28

निशुम्भ-शुम्भहरिणी,महिषासुर मर्दनी
शक्ति का अवतार तु ,माँ जगत -जननी|

दिव्य आयुध सुशोभित तु है अविनाशी
नव रूपों में पूजित ,संसार -बंधन विमोचनी|

आदि भी तु अनादि भी तु ,तु है भय हारिणी
सिंह की सवारी करे ,हे पर्वत -वासिनी|

भक्तों की रक्षा करे हे माँ स्नेह -प्रदायिनी
शरणागत का मान रखे ,तु हे माँ नारायणी |

सर्वासुरविनाशा और तु सर्वदानवघातिनी
धन्य -धन्य है तेरा नाम, तु है मोक्षप्रदायिनी|

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1 JAN 2022 AT 21:20

आदि पुरुष कैलाशपति
अविनाशी शिव की धरती हूँ
ना जाने कितने सृजन हुए
ना जाने कितने प्रलय हुए
हर कालखंड से गुजरी हूँ 
मैं महाकाल की मृत्युंजयी
भारत भूमि हूँ

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पर हमें लगता है कि, हमें उनसे इश्क़ से भी बड़ा वाला इश्क़ हो गया है ........✍️AST

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10 JUN 2020 AT 23:57

बिरहा में नाग भूजंग हो गए हैं केश मेरे..
निर्विकार अविनाशी कब होंगे दरस तेरे..
🙏जय शिव शंभू 🙏

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नश्वर देह या..
अविनाशी आत्मा,
मेरा विस्तार क्या है?
महज एक बूंद सदृश,
या सागर में एकाकार एक बूंद,
हां अपने सागर से पृथक,
एक बूँद हूँ मैं,
वो बूंद जिसे सागर होना है..!

सिद्धार्थ मिश्र

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9 MAY 2021 AT 12:20

काशी के वासी अविनासी
शिवशंकर है शुभ की राशि

गौर अंग की आभा अनुपम
जगमग जगमग ज्योति तुम्हारी

अखिल जगत की आभा तुमसे
हुवा प्रकाशित ये जग तुमसे

काशी के वासी अविनासी
शिवशंकर है शुभ की राशि

वाम अंग बैठी है गिरिजा
गोद में खेले सिद्धि विनायक

रिद्धि सिद्धि नित चरण पखारे
काल कहे जय महाकाल की

काशी के वासी अविनासी
शिवशंकर है शुभ की राशि

🌿शेष अनुशीर्षक में🌿

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13 MAR 2021 AT 10:55

है अविनाशी घट घट वासी, परम ब्रह्म परमेश्वर जो
अध्यात्म मार्ग से प्राप्त ,किन्तु अव्यक्त सदा सर्वेश्वर जो
विश्व और अविस्व रूप अज, विश्वात्मा विश्वेश्वर जो
है जिसको यह विश्व खिलौना, नमन ब्रह्म परमेश्वर को

जो अनन्य भक्त प्रभु के इनको अर्थ मोक्ष की चाह नहीं
प्रभु चरणों के आश्रित रहते जग जीवन की परवाह नहीं
जो धर्मार्थ कामना से नित , प्रभु को सदा भजा करते
उनको मनचाही गति देकर, नित हरि कृपा किया करते

ग्राह फंद से छूट मुझे नहिं, इस जग में जीवित रहना
इस अज्ञानी गज तन से , मुझको क्या अब लेना देना
यही चाह बस काल क्रमागत भव बंधन मेरा टूटे
आत्म ज्योति जिससे ढक जाती वही तिमिर मेरा छूटे

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2 JAN 2020 AT 8:12

प्रेम है...!
वक़्त नहीं.... जो बीत जाए..
ये वक़्त के साथ गहरा..
और गहरा..
होते चला जाता है..
हां.... बदलते रहते हैं,
इसके रूप पर,
अंततः....
सदैव विद्यमान..
अनश्वर..
अमर ..
अविनाशी..!!

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5 JUN 2021 AT 9:51

हे शिव शंकर हे अविनाशी
करना कृपा तुम इतनी सी

पद कमलों में मन रम जाये
करना कृपा तुम इतनी सी

नहीं कामना धन वैभव की
अभिलाषा बस शिवदर्शन की

दिन प्रतिदिन अनुराग बढ़े
शिव चरणों में शिव चरणों में

प्रतिदिन प्रतिपल निमिष निमिष
श्वासा उच्चारे शिव शिव शिव

शिव शिव शिव जय शिव शिव शिव
शिव शिव शिव जय शिव शिव शिव

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