PRAVEEN PACHOURI   (Praveen)
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Joined 26 January 2020


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1 DEC 2024 AT 19:02

अपनी आंखों में सजा लो मुझे इस तरह
कोई पुंछे तो कहना पलक है मेरी
अपने लफ्जों में समा लो मुझे इस तरह
कोई सुने तो कहना गजल है मेरी
अपने दिल में बसा लो मुझे इस तरह
कोई सुने तो कहना धड़कन है मेरी
अपने लिबास में छिपा लो मुझे इस तरह
कोई देखे तो कहना जिंदगी है मेरी
अपने प्यार में फना कर लो मुझे इस तरह
जमाना कहता रहे क्या किस्मत है मेरी

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25 MAR 2022 AT 23:31

मेरा इकरार सुनते ही वो फूला नहीं समाया था
उसके प्यार का दीदार देख मन मेरा मचलाया था

डिनर करने के बाद हम घर को वापिस आए थे
प्यार के करार की ढेरों, खुशियां भरकर लाए थे

नींद आंखों से गायब थी आंखों पर उसका साया था
सुबह से लेकर शाम तलक मन में वही समाया था

अब तो मेरा एक पल भी उसके बिना न कटता था
दिन भर उसके मुंह से बस मेरा ही नाम निकलता था

सुबह आंख खुलते ही पहले उसका ख्याल आता था
गर बात ना हो उससे तो पल भर रहा ना जाता था

हकीकत में देखूं या सपने में चेहरा उसी का आता था
तस्वीर छपी मन में ऐसे कोई और न मन को भाता था

हर एक परेशानी में अब वो मेरा साथ निभाता था
छोटी छोटी बातों को भी मुझे आकर बतलाता था

दिल दिमाग में छाया ऐसे वो वही बस सच्चा लगता था
उसके साथ ही समय बिताना मन को अच्छा लगता था

मेरी गलती होने पर भी वो मुझे मनाने आता था
मेरे गुस्सा हो जाने पर सॉरी सॉरी चिल्लाता था

प्यार की डोर बंधी ऐसे अब उसी पर बस विश्वास था
लाखों चेहरे थे जमाने में पर मेरे लिए वही खास था

कुछ दिनों से उसका मेरे साथ बिल्कुल मन ना लगता था
ना बोलता कुछ ना करता कुछ हर पल गुमसुम रहता था

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20 MAR 2022 AT 21:56

दो तीन दिन से लगातार ,वो अजीब हरकते करता था
ना बोलता कुछ न करता कुछ हर पल गुमसुम रहता था

ना मेरे लिए टाइम रहता, ना मुझसे अब वो लड़ता था
मेरे हर एक सवाल का उल्टा ही रिप्लाई करता था

उसका ये व्यवहार मुझको बिल्कुल पसंद ना आ रहा था
मैं चिल्ला रही थी उसके उपर वो मन में गाना गा रहा था

गुस्से में अब मैं वहां से वापिस घर को आई थी
घर पहुंचकर मैंने उसको फिर से कॉल लगाई थी

मैं सुनाऊं उसको कुछ इससे पहले उसने सॉरी बोल दिया
मेरा मूड एक दम बदल गया मैने पूंछा उससे क्या हुआ

बोलता है कुछ नही हुआ चलो काफी पीने चलते हैं
पिज्जा खाए बहुत दिन हो गए चलो सागर गैरे चलते हैं

ठीक है आ जाओ कहकर कॉल को मैने ड्रॉप किया
15 मिनिट के भीतर ही उसने मेरा दरवाजा नॉक किया

पहुंचकर जब देखा मैंने उधर , तैयारी बिंदास थी
लाइटिंग से लेके सजावट तक हर चीज ही खास थी

चल रहा उसके दिमाग में क्या इससे मैं अनजान थी
इजहार करने के लिए उसकी ये सब प्लानिंग थी

कॉफी पीने के बाद उसने कर दिया इजहार था
पलकें झुकाकर मैंने भी कर दिया करार था

इकरार हो चुका था अब जश्न मनाना बाकी था
साथ में जीने मरने की कसमें खाना बाकी था

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16 MAR 2022 AT 16:13

वो प्यार के रंग में डूबा था मैं दोस्ती निभाया करती थी
उसके हर एक इजहार को मैं हँसके टाला करती थी

वो निहारता रहता हर पल मुझको मैं इधर उधर मडराती थी
गर न आए एक दिन वो तो दिन भर याद सताती थी

मौका ढूंढ रहा था वो एक बार फिर इजहार का
मन बना लिया था उसने इस बार करार का

भरी महफिल में उसने एक दिन किया बड़ा कारनामा था
मैं बिल्कुल अंजान थी इससे इजहार का चल रहा ड्रामा था

मना करने के लिए मैं बिल्कुल भी ना हिचकाई थी
इसी के चक्कर में अब हो गई हमारी लड़ाई थी

मैं देखूं उसे वो देखे मुझे पर बात अब कहां होती थी
ना मन लगता था उसका कहीं, मैं भी छुपकर रोती थी

6 माह बीत गए ऐसे ही अब हलचल होने वाली थी
पुराना सब कुछ भूलकर मैं उसे मनाने वाली थी

मेरा सॉरी सुनते ही वो खुशी के मारे फूल गया
चाहता यही था वो पल भर में सब कुछ भूल गया

फिर से अब सब कुछ पहले जैसा होने वाला था
दोस्ती का ये मंजर अब प्यार में बदलने वाला था

दोनों को ही अब प्यार का हो गया अहसास था
मैं उसकी आंख का तारा थी वो मेरा सबसे खास था

इकरार होना तय था इस बार बस बाकी इजहार था
कब करना इजहार इस मौके का उसे इंतजार था

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13 MAR 2022 AT 15:01

स्कूल का था पहला दिन सब कुछ अनजान था
डरी डरी सी थी मैं और वो शरारती इंसान था

पूंछा मैंने उससे ग्यारहवीं क्लास का था पता
पूरे स्कूल में मुझे घुमा हो गया था वो लापता

शकल याद हो गई थी मुझे पर उसने न मुझे निहारा था
दोबारा मिलने पर मैंने उसे हद से ज्यादा फटकारा था

अपनी गलती का उसको हो गया था अहसास अब
मनाने की फिराक में ढूंढ रहा था वो बहाना अब

वो बहाना ढूंढें बात करने का मैं अनजान बनती थी
सुन लेती उसकी हर बात और पढ़ने का बहाना करती थी

बीत गए महीनो ऐसे अब पेपर आने वाले थे
पढ़ा लिखा था कुछ नही अब तोते उड़ने वाले थे

इत्तफाक से पेपर में सर ने हमे आगे पीछे बिठाया था
टॉपर तो था ही वह उसने मुझे पूरा पेपर बताया था

अब उसके लिए मेरा भी जी थोड़ा सा मचलाया था
खुशी खुशी मैं मैंने उस दिन चाकलेट उसे खिलाया था

दोस्ती हो गई हमारी अब लंच साथ में खाते थे
हर बात अब हम दोनो एक दूसरे को बताते थे

दोस्ती गहरी हो चुकी थी अब प्यार का रंग बस बाकी था
करार दोनो तरफ तय था बस इजहार करना बाकी था

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13 MAR 2022 AT 15:00

आदि तुम्ही हो अंत तुम्ही हो
ओमकार का मंत्र तुम्ही हो

जीवन तुम्ही हो काल तुम्ही हो
भस्मी रमैया महाकाल तुम्ही हो

नंदीश्वर तुम्ही गंगाधर तुम्ही हो
काशी के विश्वनाथ तुम्ही हो

नागेश्वर तुम्ही केदारनाथ तुम्ही हो
दीनो के दीनानाथ तुम्ही हो

चंद्रशेखर तुम्ही नीलकंठ तुम्ही हो
भक्तों के गले का रुद्राक्ष तुम्ही हो

भक्त तुम्ही हो भगवान तुम्ही हो
श्रृष्टि के संहारक तुम्ही हो

ज्ञान तुम्ही हो विज्ञान तुम्ही हो
वेदों के ज्ञाता वेदांग तुम्ही हो

रूद्र तुम्ही शिव शंकर तुम्ही हो
नर्मदा का हर कंकड़ तुम्ही हो

आदि तुम्ही हो अंत तुम्ही हो
ओमकार का मंत्र तुम्ही हो

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16 JUN 2020 AT 7:42

जरूर करनी चाहिए
क्योंकि एक वहीं है
जो यदि आपको सफल
नहीं बना सकती
तो असफल भी नहीं
होने देती

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26 DEC 2021 AT 15:23

इंकार के डर से मैं इजहार न करता
खो न दूं इसीलिए ऐसी बातें न करता
हाल ए दिल तो तुम्हे भी पता है मेरा
शब्दों में जिसको मैं बता नहीं सकता

प्यार भरी आंखो को मैंने भी पढ़ा है
इजहार इकरार का क्या सिलसिला है
दिल की तमन्ना लबों पे ला के तो देखो
यूं खामोश लफ्जों में क्या ही रखा है

देखा है मैंने भी तुमरी आंखों में प्यार
चाहत तुम्हे भी है तो कर दो इजहार
ना खोने का डर होगा न होगी इंकार
जो होगा इजहार ही वही होगा इकरार

गर कर दूं इजहार आज ही तुम्हे
तो वादे से मुकर तो न जाओगे
मुलाकात हुई नही है अभी तक
बिन मुलाकात बिछड़ तो न जाओगे

ना जी सकता तुम्हारे बिना मैं ,
तुम भी बिन मेरे जी ना पाओगे
बदलता है मौसम ,बदलता जमाना
तुम भी कहीं बदल तो न जाओगे

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16 DEC 2021 AT 9:16

थक गया हूं अब मैं इंतजार करते करते
इकरार के इंतजार में इजहार करते करते

ये मौसम ये वादियां भी अब पूंछते है मुझसे
हुई खता या फिर कोई कमी रह गई तुमसे

ख्वाबों में देखता हूं कभी हकीकत में देखता
शाम की शीतलता, सुबह की लालिमा तुमसे

अधूरा हूं अब तुम्हारे बिना ,सुनो हमराह मेरे
मुक्कम्मल हो जाऊं शायद तुम्हारे पास आने से

अक्सर होती है दुआ कुबूल खुदा तुझे मनाने से
काश वो भी आ जाए अब मेरे पास बुलाने से

थक गया हूं अब मैं इंतजार करते करते
इकरार के इंतजार में इजहार करते करते

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15 AUG 2021 AT 9:51

आजादी का अमृत महोत्सव पर्व आज बड़ा महान है
स्वतंत्रता यूं ही ना मिली, लाखों ने दिए अपने प्रान है

किसी ने सीने पे गोली खाई कोई फंदे पर झूला गया
आज उन्हीं वीर सपूतों को हर भारतवासी भूल गया

देश को आजाद कराने का, आजाद ने बेड़ा उठाया था
देशद्रोहियों की वजह से उसने मौत को गले लगाया था

आज भी ऐसे कुछ देशद्रोही भारत को अंदर से तोड़ रहे
मीठी-मीठी बातों में फंसा के युवाओं की दिशा मोड़ रहे

अखंड भारत की एकता को तोड़ने का सपना देख रहे
धर्म जाति के नाम पर एक दूजे को आपस में लड़ा रहे

हिंदू मुस्लिम से ऊपर उठकर हमे भारतवासी बनना है
देश की एकता व अखंडता को अखंड बनाए रखना है

विश्व बंधुत्व की भावना का हमको जीर्णोद्धार कराना है
एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना हमे साकार कराना है

विश्वगुरु था पहले भारत इसको फिर विश्वगुरु बनाना है
आजादी के इस महापर्व पर , यही संकल्प अपनाना है

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