मेरी बाहों में जो तुम आई हो
तो अब न टूटने दूंगा मैं
ख्वाब साथ जो लाई हो
हर एक पूरा करूंगा मैं
थामे हाथों में हाथ तुम्हारा
पलकों में बंद कर ले जाऊंगा
धूप भी ना तुमको छू पाएगी
इतना सहेज ले आऊंगा।-
मेरी दहकती कविता को मिले तुम्हारे नेत्रों का शीतल स्पर्श
लिखकर मैं सौंप देती हूँ तुम्हें स्वयं करने को विचार-विमर्श
तुम पलकें बिछा कर सिर खुजाते हो निकालते हो निष्कर्ष
बिन समझे करते हो स्वीकार हे पाठकों नमन है तुम्हें सहर्ष-
हिन्द की स्वतंत्रता का हो यूँ चहुँ दिश अभिवादन
ज्यों गरजे, उमड़े उदधि करे अवनि का पद प्रक्षालन
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मन जिज्ञासु होना चाहिए
हृदय पवित्र होना चाहिए
स्वभाव विनम्र होना चाहिए
सत्य स्वीकार करना चाहिए
जो आपको ज्ञान दे
उसका आभार होना चाहिए
ज्ञान से बड़ा कोई दान नहीं
🙏 जय श्री राधे 🙏-
वो आए आज
रख दिए कदम
सरल धरा पर
बहुत दिनों के बाद
करबद्ध अभिवादन
मन झूमे जैसे सावन
आते रहना ऐसे ही
फिर फिर मुड घुड़
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युवा शायर अज्ञेय ✍️
जो चांद थिरकता अपनी शीतलता पर
वो भी फिका दिखाई देता हैं
सूर्य सा तेज़ चतुराई देता हैं
पराक्रम की गरिमा हैं ही कमाल आपकी
श्री मोदी जी अज्ञेय आपकी चरणों की अगुआई करता हैं-
आभार शब्द कहूं....या करूं चंद लफ्जों में शुक्रिया,
खास अवसर पर मनचाहा तोहफा आपने हमें दिया,,
कौन भला आपसी शख्सियत को कर पाएगा स्पर्श,
पढ़कर अद्भुत लेखनी आपकी पाते नयन अति हर्ष,,
लफ़्ज़ों लफ़्ज़ों में बुन डालते आप एहसासों की चादर,
तड़पते तन्हा श्वेत पृष्ठों की ज्यों भर रही हो रीती गागर,,
एकता,परोपकार,सद्भावना,सहयोग,हृदय अति विशाल,
दुआएं रहेगी सदैव यहीं,हो हक में आपके समय की चाल,,
लेखनी से मिलन को उम्मीदों की बागवानी थी हमने लगाई,
शुक्रिया आपका बंजर पड़ी भूमि में लेखन की आस जगाई,,-