घटनाचक्रों के घटते बढ़ते क्रम में ही
घटते बढ़ते हैं सुख-दुख हमारे
जिस प्रकार ग्रहण लग जाने से
नहीं होती सूर्य,चंद्रमा की आभा कम
ठीक उसी प्रकार नहीं होनी चाहिए
जीवन में विश्वास की कमी
उफनते वेग में भी रहो सम
तरंगित लहरों सा है जीवन
कभी उफान तो कभी ढलान
गिरकर उठना प्रकृति का नियम
परिस्थितियों का करती
बाहें खोलकर आह्वान
रखो धैर्य का संबल समक्ष
अवतरित होने को है सुख विहान..!!-
🌹🌹 'ॐ नमः शिवाय' 🌹🌹
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"ॐ हैं जीवन हमा... read more
ज़माने की आबो हवा में बेवजह ही ख़लिश होती ही नहीं कम,
मोहब्बत से दिलों को जीतने का फलसफा चलो सबको पढ़ाते हैं।-
अभी तो हम बेफिक्री के सफर में है..
अभी-अभी आए मंजिल की नजर में है..!
देखते है कितनी दूर तक चलेगा मुसाफिर
कंक्रीटो से भरी राहे कितनी और डगर में है..!!
पूर्ण होने के लिए
ये स्वीकारना आवश्यक है कि
ज़िंदगी हर रोज
नया अध्याय लेकर आती है
कुछ ना कुछ रोज
नया सिखाती है
जो अगर हमने यह मान लिया
कि हमें सब कुछ आ गया
या फिर हम परिपूर्ण है...
तो सफर की पूर्णता का आभास कैसे होगा?
सफर में चलने का अभ्यास कैसे होगा?
कुछ नया करने का प्रयास कैसे होगा?
रह गया जो अधूरा फिर अनायास कैसे होगा??-
प्रेम प्रतीक्षा में ठहरी रही मैं
हर मोड़ पर
मेरे ख़त का जवाब तुम कभी
दे ही ना पाए
ढलती उम्र की दहलीज पर
करूँ भी तो करूँ
किससे गिला
धड़कती साॅंसों ने फिर ली अंगड़ाई
मिला भी तो तुम्हारा जवाब
दराज में पुराने दस्तावेजों के बीच मिला..!!-
भक्तों के कारज सिद्ध करते भगवान श्री गणेश,
ध्यान लगाकर जो करें आराधना हृदय से हमेश,,
भादों मास की चतुर्थ तिथि का मिला दिन विशेष,
विघ्नहर्ता मंगलकर्ता जग के काटो कलेह क्लेश।।-
ईश्वर बड़ा शातिर निकला
जाने क्या विचार कर
उसने सबसे पहले कांटों को जन्म दिया,
शायद ईश्वर ये जानता था कि
हमें दुःख सींचने भलीभाँति आते हैं
या फिर ईश्वर ये जानता था कि
प्रेम पाना इतना सरल नहीं हैं,
ईश्वर ने काँटे इसलिए नहीं उगाये
कि वो हमारी भावनाओं को
आहत पहुंचाना चाहता था
वर् न इसलिए कि वो बताना चाहता था
कि प्रेम प्रतीक्षा का ही पर्याय हैं,
(शेष अनुशीर्षक में)-
शब्दों में बधाई भाव भरूं या माफ़ी की लगाऊँ गुहार,
ख़ैर जाने भी दो जन्म दिन की शुभ बेला पर खूब प्यार,,
सखी प्यारी पारुल जी को
अवतरण दिवस की हृदय से
अशेष शुभकामनाएं 🎉🎉
🎉🥳🎉🥳💫💖💐🎂🎂🍫🍫-
काश टल जाती बला मौत ने ना निगला होता,
क्या दर्द का खौफनाक मंजर ऐसा भी होता हैं,,
😓😓-
*प्रार्थना*
एक ने_
दर पर लगाई थी अरदास
एक को_
सता रहीं थीं भूख-प्यास
यकीनन उस ईश्वर ने
आज_
दोनों की प्रार्थना सुनी है,
एक की मन्नत पूरी होने में
दूजे को दो जून की रोटी मिली है,,
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