मिले तो कई मुझे अपना कहने वाले
पऱ मुझे.. मेरी तरह कोई अपना ना मिला,
जो आंखों से उतर कर कहे के देख.. यहाँ हूँ मैं
हजारों देखे थे पऱ.. हकीक़त में ऐसा.. कोई सपना ना मिला,
"ज़िन्दगी" से हार कर खवाईशें खुदकुशी करती रहीं
अफ़सोस.. चाँद की रोशनी में "तारे" को चमकना ना मिला !!-
प्यार मेरा एक 'खिलौना'
दिखा था जिंदगी के मेले में।
पसंद तो बहुत है मगर,
सजी थी '7 साल' के ठेले में ।
ले नहीं पाया उसे क्योंकि
मैं था दोस्तों के रेले में ।
नैन व्याकुल है देखने को ,
दिल व्याकुल है पाने को,
बस एक दफा मिल जाए !
छुपा लूंगा 'ताउम्र' सीने के कोने में ।
प्यार मेरा एक खिलौना,
दिखा था जिंदगी के मेले में।-
जो हुआ वह तो होना था ।
कुछ पा लिया हमने जिंदगी में ,
कुछ हरदम के लिए खोना था ।
करके इश्क एक बेवफा से,
हमें उम्र भर के लिए रोना था ।
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बेशक मैं बुरा हूं
पर अच्छाइयों की मुझ में कमी नहीं ,
बताना तो बहुत कुछ चाहा तुझे
पर उस वक्त तक तुम थमी* नहीं|-
अगर तुम ढुंढ पाते तो तुम्हारे ख्यालों में होता।
मगर अफसोस तुमने ढुंढा ही बस खामियों में।-
अफसोस कि मेरी कोई कहानी नहीं !
कुछ अहसास दफ्न है जिनमें रवानगी नहीं !!-
सब सो गए मुझे छोड़
मैं रात देर तक रोता रहा उसे छोड़कर
वो तो बस मुझसे शिकायत कर रही थी
कमबख्त मैं ही चला आया मुंह मोड़ कर-
बेटियां हो तो न
अफ़सोस जताया जाए,
रेहमतें रब की समझ
शुक्र मनाया जाए....
✏Aksharjeet-
जाने कैसे करता है, वो आईने का सामना यारा,
अपने किए पर जिस इंसान को अफसोस नहीं होता!
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