अज्ञान हमें लोभ के जरिए लाचार करता है
लाचारी हमें गुलाम बनाती है गुलामी से शोषण होता है। शोषण से धीरे धीरे दुःख और दर्द मिलता है फ़िर अज्ञान ही हमें दुःख और दर्द से मृत्यु के घाट उतार देता है।-
हर खूबसूरत चीज पर अपना आधिपत्य करने की होड़ में,
कही सब कुछ खत्म तो नहीं कर देगा ना ये अज्ञान मनुष्य।-
शून्यता अपार है......
ईश्वर की भी,
साथ ही हृदय की भी।
शून्यता का आधार भी विचित्र है
लक्ष्य शून्य हो जाना है....
परंतु जीवन प्रयास करता शून्यता पूर्ण करने की
देखो, अज्ञान की शून्यता भी कितनी अपूर्ण होती।
फिर अपूर्णता से पूर्णता की ओर,
फिर एक यात्रा.....
कई अनुभव......
स्वयं को कुंदन की भांति तपाना।
अज्ञानी से ज्ञानी बनने की यात्रा,
फिर उपजा अहंकार और दमित इच्छाऐं,
फिर उनसे मुक्ति की चाह.....
निराकार ज्योति से मिलन की चाह.....
शून्यता की ओर अग्रसर होता.... हृदय.....
शून्यता की राह पर.....
सच में शून्यता अपार है.......
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मरने वालों को भी जिन्दगी दे सकता है विज्ञान।
मगर आदमी को इंसान बनाना हो तो बनता है अज्ञान।-
बात भले पुरानी है, पर सबने मानी है।
अज्ञानियों के शहर में सभी ज्ञानी हैं।-
जीवन के अज्ञात सफ़र में, हम सब अपनी हकीकत से अनभिज्ञ रहते हैं।
हम जो करते हैं वो अज्ञान है,
हमारे अंदर की सच्चाई से हम अनभिज्ञ हैं।-
अज्ञान अगर अन्धकार में होता
तो सत्य की खोज
आँख मूँदकर न की जाती-
अन्धकार में प्रकाश के बिंदु को ईश्वर मान लेना अज्ञानता है।
ईश्वर उस अन्धकार और इस अज्ञानता में भी है।-
या जगात कुणीही कुणाचही इतकं नुकसान केलेलं नसेल जितके अज्ञानाने अज्ञानी माणसाचे केले आहे..!
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