किसे पाने को
ये अन्तरिक्ष
अनन्तकाल से
विस्तरित होता जा रहा है,
निश्चित रुप से प्रेम होगा किसी का,
जो उसे विस्तार तो दे रहा,
पर हासिल नहीं हो रहा।
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मुश्किल की घड़ी सब पर आयी है
हम सबको लड़नी इससे लड़ाई है
इस धरती से प्यारी कोई दूसरी जगह नहीं
क्योंकि ये धरती खुद हमारे शिव ने बनाई है।
हर हर महादेव-
आसमान में तारों की रासलीला देखते देखते सुदूर अंतरिक्ष में प्लूटो से भी कई प्रकाश वर्ष आगे एक नारंगी पुच्छल तारा दिखाई दिया। विचारों के टेलिस्कोप से हर रोज घंटो उस तारे का अध्ययन करने लगा। उसकी पूँछ से कई छोटे बड़े सितारे हर पल जन्म ले रहे थे।
कई लेखक अपने कलम के अंतरिक्ष यान पर सवार हो उस तारे पर उतरने लगे। मुख पर हर्ष और हृदय में प्रेम लिये सभी एक दूसरे के विचारों को सराह रहे थे।
लेखकों की संख्या के साथ साथ तारे का आकार दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था और उसकी चमक दूर दूर तक दिखाई देने लगी थी। आने वाले दिनों में ये तारा लेखकलोक के नाम से जाना जाएगा।-
पृथ्वी में एक स्थान से दूसरे स्थान जाना, अंतरिक्ष में करवट बदलने के समान है।
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असीमित सीमाओं में होकर भी
तुम्हारे लिए असीम प्रेम है मेरे हृदय में,
और तुम स्वयं आकाश से असीम होकर भी
असंख्य सीमाएं बनाये हुए हो,
यह दुर्भाग्य है मेरा कि मैं तुम्हारा ही एक
हिस्सा होकर भी जीवन का एकमात्र विकल्प हूँ,
और तुम मेरे इर्द-गिर्द निर्वात लिए फ़ैले हो,
जानती हूँ कि प्रकाश बहुत तीव्र गति से
फैलता है तुम्हारे अंतर्मन में,
और तुम प्रकाश की पराकाष्ठा को पाकर भी
स्वयं को अंधकारयुक्त रखते हो,
तुम्हारा यूँ प्रसिद्धि से दूर भागना मुझे पसन्द है,
किन्तु मैं चाहकर भी नहीं समेट सकती
अपना अस्तित्व तुम्हारी तरह,
मेरी कर्तव्यपरायणता मेरी आकांक्षाओं से
कहीं अधिक महत्वाकांक्षी जो है,
तुम्हें पता है कि गति ही जीवन है
फिर भी तुम शांत होकर ठहरे हो,
सुनो! मुझे भी ठहरना है और तुम जैसा होना है,
क्यूँ तुमने मुझे
कर्त्तव्यों से बाँध दिया है अंतरिक्ष?-
मानों धरती पर
सूर्य की प्रत्येक किरण
अपने साथ एक
आकाशगंगा लेकर उतरती है...
(अनुशीर्षक में)-